इस आधार पर हम सामान्यतया रासायनिक साबुन साबुन को ३ भागो में वर्गीकृत कर सकते हैं: कार्बोलिक साबुन, ट्वायलेट साबुन,और नहाने का साबुन या बाथिंग बारI
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में ऐसे कई लिंक आप को दे सकता हूँ जिसमें बिदेशों में खासकर यूरोप में कार्बोलिक साबुन बच्चों पर इस्तेमाल करने पर दंड का प्रावधान है..
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इस आधार पर हम साबुन को 3 भागों में बांट सकते हैं, जिनमें कार्बोलिक साबुन, टॉयलेट साबुन और नहाने का साबुन यानी बाथिंग बार होता है।
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कैंसर रोग में यदि रोगी के शरीर से अधिक बदबू आती हो तो कार्बोलिक एसिड की पाउडर या आयोडोफार्म की पाउडर या कोयले की पुल्टीय का प्रयोग करना चाहिए।
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१ कार्बोलिक साबुन (CARBOLIC SOAP): GRADE 3 SOAP: इस साबुन में TFM का प्रतिशत ५ ० % से ६ ० % तक होता है.
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30 ग्राम एरंड के तेल में 25 बूंद कार्बोलिक एसिड मिलाकर सुबह और शाम 2-2 बूंद आंख में डालने से आंखों के फूले और जाले से छुटकारा मिलता है।
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होता है.,इससे इस्तेमाल से त्वचा पर होने वाली हानि कार्बोलिक साबुन की अपेक्षा कम होती हैIभारत में इस श्रेणी का साबुन लक्स,लिरिल डिटोल और हिंदुस्तान लीवर लिमिटेड के अन्य कई उत्पाद हैI
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, इससे इस्तेमाल से त्वचा पर होने वाली हानि कार्बोलिक साबुन की अपेक्षा कम होती हैIभारत में इस श्रेणी का साबुन लक्स, लिरिल डिटोल और हिंदुस्तान लीवर लिमिटेड के अन्य कई उत्पाद हैI
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शुद्ध कार्बोलिक अम्ल सफेद, क्रिस्टलीय, सूच्याकार, ठोस होता है, पर, यह वायु में रखे रहने से पानी का अवशोषण कर द्रव बन जाता है, जिसका रंग पहले गुलाबी पीछे प्राय: काला हो जाता है।
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शुद्ध कार्बोलिक अम्ल सफेद, क्रिस्टलीय, सूच्याकार, ठोस होता है, पर, यह वायु में रखे रहने से पानी का अवशोषण कर द्रव बन जाता है, जिसका रंग पहले गुलाबी पीछे प्राय: काला हो जाता है।