कार्य की प्रकृति एक प्लास्टिक इंजीनियर के लिए उसका कार्यस्थल ज्यादातर इस बात पर निर्भर करता है कि वह इंडस्ट्री में कौन सी भूमिका निभाता है।
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राज्य शासन द्वारा निर्णय किया गया है कि कुछ श्रेणी के व्यक्तियों का पद एवं कार्य की प्रकृति के कारण दो शस्त्रों के लाइसेंस दिए जा सकेंगे।
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ये विभिन् न अंतर सक्रिय कार्यकलापों के कारण स् थापित है जो कार्य की प्रकृति और दृष्टिकोण से संबंधित किसी संगठन और इसके कर्मचारियों के बीच होते हैं।
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कार्य की प्रकृति एवं उद्देश् य न्यूटिशिनिस्ट और डाइटिशियन का कार्य लोगों को उनके स्वास्थ्य को अच्छा बनाए रखने के लिए आहार संबंधी जानकारी और मार्गदर्शन प्रदान करना है।
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कार्य की प्रकृति एवं उद्देश् य न्यूटिशिनिस्ट और डाइटिशियन का कार्य लोगों को उनके स्वास्थ्य को अच्छा बनाए रखने के लिए आहार संबंधी जानकारी और मार्गदर्शन प्रदान करना है।
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यह ठीक है कि सभी कर्मचारी समान नहीं होते और कार्य की प्रकृति के आधार पर वेतन में विभिन्नता आवश्यक है किन्तु इतना अधिक अन्तर कहा¡ तक न्यायोचित है?
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वस्तुत: हमारे मुहूर्त शास्त्र के आचार्यो ने प्रत्येक कार्य की प्रकृति एवं प्रक्रिया का मनन एवं चिंतन कर उसके अनुरूप काल का निर्धारण किया है, जिसको मुहूर्त कहते हैं।
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बात सिर्फ इतनी है कि चाहे सिंगर हो या इंजीनियर, हर इंसान को अपने मूल कार्य की प्रकृति से जुडे अन्य कार्यो को भी सीखने-समझने की कोशिश करनी चाहिए।
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किसी भी निर्माण कार्य के श्रम भाग और सामग्री भाग का प्रतिशत उस कार्य की प्रकृति और उसके लिये अपनाई जाने वाली विशिष्टियों (specifications) पर निर्भर करता है।
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इससे समय की बचत होगी और एक साथ दो काम आसानी से पूरे हो जाएंगे, पर ऐसा करने से पहले आपको कार्य की प्रकृति को हमेशा ध्यान में रखना चाहिए।