कालमेघ कफ को दूर करने वाला, मन व मस्तिष्क को उत्तेजित करने वाला एवं पाचन शक्ति को बढ़ाने वाला होता है।
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सफेद दाग (कुष्ठ), बुखार व पुराना बुखार आदि को ठीक करने के लिए कालमेघ का प्रयोग किया जाता है।
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इसके अतिरिक्त चिरायता में कालमेघ (एण्ड्रोग्राफिस पैनिकुलैटा) तथा मंजिष्ठा (रुविया कॉडियाफोलिया) की भी मिलावट की जाती है ।
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हाल ही में महाविद्यालय में अश्वगंधा, कालमेघ और सर्पगंधा की नई किस्में विकसित की गई हैं, जिन्हें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सराहना मिली है।
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भारतीय चिकित्सा पद्वति में कालमेघ एक दिव्य गुणकारी औषधीय पौधा है जिसको हरा चिरायता, बेलवेन, किरयित् के नामों से भी जाना जाता है।
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मुख्य रासायनिक घटक: कालमेघ में कई प्रकार के डाईटरपीनाएड्स पाए जाते हैं जिनमें मुख्य तिक्त एन्ड्रोग्रेफोलाइड एवं प्रमुख अतिक्त यौगिक नियो-एन्ड्रोग्रेफोलाइड है।
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भारतीय चिकित्सा पद्वति में कालमेघ एक दिव्य गुणकारी औषधीय पौधा है जिसको हरा चिरायता, बेलवेन, किरयित् के नामों से भी जाना जाता है।
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हाल ही में महाविद्यालय में अश्वगंधा, कालमेघ और सर्पगंधा की नई किस्में विकसित की गई हैं, जिन्हें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सराहना मिली है।
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भारतीय चिकित्सा पद्वति में कालमेघ एक दिव्य गुणकारी औषधीय पौधा है जिसको हरा चिरायता, बेलवेन, किरयित् के नामों से भी जाना जाता है।