| 41. | आनंद प्रवीन जी काल करे सो आज कर आज करे सो अब पल में परलय होएगी बहुरि करेगा कब …..
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| 42. | आज करे सो काल कर-की सोच त्याग कर काल करे सो आज कर-की नीति अखत्यार करनी होगी ।
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| 43. | यूँ भी एक न एक दिन तो नहीं ही रहना था-काल करे सो आज कर-की तर्ज पर आज ही नहीं रहे.
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| 44. | जो काल करे सो आज कर ले जो आज करे सो अब कर ले जब चिड़ियां खेती चुग डाली फिर पछताए क्या होवत है
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| 45. | मैं तो कबीर जी के दोहे “ काल करे सो आज कर, आज करे सो अब ” का बड़ी तन्मयता से पाठ करती थी.
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| 46. | कहावत तो याद है ' काल करे सो आज कर.... ', लेकिन कार्यरूप में ' आज करे सो काल कर... ' की शैली अपनाते हैं।
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| 47. | संत कबीर दास जी ने कहा भी है कि ‘ काल करे सो आज कर, आज करे सो अब, पल में प्रलय हो जायेगी बहुरि करेगा कब।
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| 48. | कबीरदास जी भी कह गये हैं कि ‘ काल करे सो आज कर, आज करे सो अब, पल में प्रलय हो जायेगी बहुरि करेगा कब ' ।
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| 49. | एक दिन माँ ने कहा अन्विक्षा “जानती हो तुम्हारी नानी क्या कहती थी? ” अन्विक्षा बोली “”क्या?“ माँ ने कहा ”कहती थी, काल करे सो आज कर,आज करे सो अब।
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| 50. | इसके मूल में बस एक भावना रहती, रहीम की वह बानी जो एक सुदूर मुल्क से चल कर आई थी-“ काल करे सो आज कर, आज करे सो अभी।
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