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काष्ठा उदाहरण वाक्य

उदाहरण वाक्य
41.इस प्रकार महर्षि कश्यप की अदिति, दिति, दनु, काष्ठा, अरिष्टा, सुरसा, इला, मुनि, क्रोधवशा, ताम्रा, सुरभि, सुरसा, तिमि, विनता, कद्रू, पतांगी और यामिनि आदि पत्नियां बनीं।

42.इस प्रकार महर्षि कश्यप की अदिति, दिति, दनु, काष्ठा, अरिष्टा, सुरसा, इला, मुनि, क्रोधवशा, ताम्रा, सुरभि, सुरसा, तिमि, विनता, कद्रू, पतांगी और यामिनी आदि पत्नियां बनीं।

43.इसी प्रकार तीन निमेष से एक काष्ठा, 15 काष्ठा से एक लघु, 15 लघु से एक नाडिका, दो नाडिका से एक मुहूर्त, छह नाडिका से एक प्रहर तथा आठ प्रहर का एक दिन और एक रात बनते हैं।

44.इसी प्रकार तीन निमेष से एक काष्ठा, 15 काष्ठा से एक लघु, 15 लघु से एक नाडिका, दो नाडिका से एक मुहूर्त, छह नाडिका से एक प्रहर तथा आठ प्रहर का एक दिन और एक रात बनते हैं।

45.♥ 18 निमेष की एक काष्ठा, 30 काष्ठा की एक कला, 20 कला का 1 क्षण, 12 क्षण का 1 मुहूर्त, 30 मुहूर्त का एक अहोरात्र (रात्रि-दिन) इस प्रकार आजकल के मान से एक कला = 2 / 15 मिनट या 8 सेकेण्ड है।

46.♥ 18 निमेष की एक काष्ठा, 30 काष्ठा की एक कला, 20 कला का 1 क्षण, 12 क्षण का 1 मुहूर्त, 30 मुहूर्त का एक अहोरात्र (रात्रि-दिन) इस प्रकार आजकल के मान से एक कला = 2 / 15 मिनट या 8 सेकेण्ड है।

47.ऐसा कहा जा सकता है कि ८ ४ लिङ्गों के माहात्म्य वाला भाग काष्ठा से, अज स्थिति से सम्बन्ध रखता है तथा नर्मदा माहात्म्य वाला तीसरा भाग समाधि से व्युत्थान पर प्राप्त आनन्द की स्थिति से सम्बन्ध रखता है (नर्मदा-नर्म या आनन्द को देने वाली) ।

48.कश्यप की पत्नी अदिति से आदित्य (देवता), दिति से दैत्य, दनु से दानव, काष्ठा से अश्व आदि, अरिष्ठा से गंधर्व, सुरसा से राक्षस, इला से वृक्ष, मुनि से अप्सरागण, क्रोधवशा से सर्प, ताम्रा से श्येन-गृध्र आदि, सुरभि से गौ और महिष, सरमा से श्वापद (हिंस्त्र पशु) और तिमि से यादोगण (जलजंतु) की उत्पत्ति हुई।

49.अर्थात जितने समय मे 18 बार पलकों का गिरना हो, 30 काष्ठा की एक कला,30 कला का एक छण,12 छण का एक मुहूर्त,30 मुहूर्त का एक दिन-रात,30 दिन-रात का एक महीना,2 महीनो की एक ऋतु,3 ऋतु का एक अयन तथा 2 अयनों का एक वर्ष होता है ।

50.कश्यप की पत्नी अदिति से आदित्य (देवता), दिति से दैत्य, दनु से दानव, काष्ठा से अश्व आदि, अरिष्ठा से गंधर्व, सुरसा से राक्षस, इला से वृक्ष, मुनि से अप्सरागण, क्रोधवशा से सर्प, ताम्रा से श्येन-गृध्र आदि, सुरभि से गौ और महिष, सरमा से श्वापद (हिंस्त्र पशु) और तिमि से यादोगण (जलजंतु) की उत्पत्ति हुई।

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