पत्रकार आप के कहे मुताबिक चलने लगें (जो उसे मालूम चलता है उसे दुनिया के सामने वैसा ही रखना उसका काम है) तो फिर कोई कुछ भी हमारी मीडिया को परोस देगा और हम देश, समाज और खुद मीडिया के हितों का विचार किये बिना उसे जनता के सामने परोस देंगे.
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हम बिना विचार किये छोड़ते गये अपने आचार-विचार को अपनी वेशभूषा और संस्कृति को और अंधे होकर खोटे-खरे, बुरे-भले का विचार किये बिना ही नए विचारों के नाम पर पाश्चात्य सभ्यता को अपनाते गये, नतीजा हम दिशा विहीन हो गये हैं और आज राष्ट्र अनेक समस्याओं से ग्रसित हो गया है।
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बौद्धिक, आर्थिक और वैज्ञानिक विकास के कारण जिन सुविधा-साधनों की वृद्धि हुई है, उन्होंने मनुष्य को अधिक लालची, अधिक विलासी और साथ ही अधिक धूर्त बना दिया है, फलस्वरूप कम काम करने, अधिक लाभ उठाने और नीति-अनीति का विचार किये बिना जैसे भी स्वार्थ सिद्ध होता है, पूरा कर लेने की हविश बेतरह जाग पड़ी है ।
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” | अब आप स्वयं ही सोचये की जिनके अर्थ को संजय जानते हाँ या नहीं इसमें संशय है वो क्या इतने सीधे होंगे की उनकी गूढता और प्रसंग का विचार किये बिना केवल शाब्दिक अर्थ (वो भी व्याकरण को छोड़कर) ले लिया जाय? अब देखते हैं महाभारत के वनपर्व के वो श्लोक जिसके आधार पर राजा रंतिदेव को गोहयता करने वाला कहा जाता है-
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वीर हनुमान जी का विचार किये बिना हम श्रीरामचंद्र जी का विचार नहीं कर सकते, अर्जुन के स्मरण किये बिना हम भगवान श्रीकृष्ण का विचार नहीं कर सकते | बुद्धदेव के साथ आनंद अवम इसा मसीह के साथ सेंत पोल का भी विचार हमे करना पड़ता है | श्रीरामकृष्ण तथा स्वामी विवेकानन्द का सम्बन्ध भी इसी प्रकार का है | श्रीरामकृष्ण मानो मूल स्त्रोत है तथा स्वामी विवेकानन्द उस जल को बहा ले जाना वाला प्रवाह |
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अगर 100 सीटें उपलब्ध हैं, तो पहले समुदाय का विचार किये बिना (आरक्षित या अनारक्षित) दो योग्यता सूची तैयार की जाती है, 31 सीटों के लिए एक और 50 सीटों के लिए एक दूसरी, क्रमशः 69 % आरक्षण और 50 % आरक्षण के अनुरू प. किसी भी गैर-आरक्षित श्रेणी के छात्र को 50 सीट सूची में रखा जाता है और 31 सीट सूची में नहीं रखा जाता तो उन्हें अतिउच्च-संख्यांक कोटा सीटों के तहत (अर्थात) इन विद्यार्थियों के लिए जोड़ी जाने वाली सीटों में प्रवेश दिया जाता है.