एकदम से बोल पड़ा, “हे....! 'न तोको ना मोको..... चूल्हे में झोंको......!!' जय हो अगिन-देवता! लो केला का भोग लगाव....!” कह कर धान उबालने के लिए जो बड़ी भट्टी जल रही थी उसी में दोंनो टोकड़ी का केला उड़ेल दिया.....! ‘अब लो खा लो केला छील-छील कर...! “न तोको न मोको....चूल्हे में झोंको!!” हा.... हा... हा..... ठी... ठी... ठी....! खें..... खें....खें...खें...... हे.... हे...हे....हे....! एक पहर से यह कीर्तन भजन का आनंद ले रही भीड़ के मुँह से समवेत ठहाके निकल पड़े।