(मानसागरी) जन्म लग्न या पंचम भाव में मकर या कुंभ राशि का 'श0' हो और बु0 लाभ स्थान में हो तो जातक को सब प्रकार से धन लाभ होता है।
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कुंभ (गू गे गो सा सी सू से सो दा) इस महालक्ष्मी वर्ष में कुंभ राशि का स्वामी शनि ग्रह ठीक नवम राशि यानि तुला राशि से विचरण कर रहा है।
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कुंभ: नामाक्षर:-गू, गे, गो, सा, सी, सू, से, सो, दा कुंभ राशि का स्वामी शनि ग्रह गोचर के अनुसार साल के अधिकांश समय में इसकी नवम राशि तुला में विचरण करेगा।
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जन्म लग्न या पंचम भाव में मकर या कुंभ राशि का ‘ श 0 ′ हो और बु 0 लाभ स्थान में हो तो जातक को सब प्रकार से धन लाभ होता है।
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इनके लिए सोमवार और शनिवार का दिन भी शुभ और रविवार और बुधवार का दिन अशुभ होता है, जिस दिन कुंभ राशि का चंद्रमा हो, उस दिन महत्व का कार्य शुरू नहीं करें।
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ऊर्जा उन्हें चारों ओर दुनिया से आकर्षित, तैयार रहते हैं और अपरंपरागत था, तो क्यों गंध को कुंभ राशि का उपयोग किया जाएगा करने के लिए अपने स्वभाव की विविधता को उजागर किया था.
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कुंभ कुंभ राशि में गु, गे, गो, स, सा, सी, सु, से, सं, सो,सौ, द,दा अक्षर आते हैं | कुंभ राशि का स्वामी शनि हैं | इस राश के लोग अपने कार्य बिना किसी के मदद के...
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गोचर ग्रहों के आधार पर देखा जाए तो शनि का भ्रमण सिंह से 15-16 की रात्रि से हुआ और प्रतिभा पाटिल जी कि पत्रिका में शनि कुंभ राशि का होकर राशि से दशम भाव में है।
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मेष और वृश्चिक राशियों का स्वामी मंगल, वृष और तुला का शुक्र, मिथुन और कन्या का बुध, कर्क का चंद्रमा, सिंह का सूर्य, धनु और मीन का गुरु और मकर व कुंभ राशि का अधिपति शनि होता है।
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आज की दुनिया में कुंभ राशि का स्थान पश्चिम दिशा में जलाशयों, क्रीड़ा स्थलों, स्विमिंग पूल, समुद्र तट, दर्शनीय स्थलों, झील, बांध, मदिरालयों, दवाखानों, खनिज द्रवों आदि के उत्पादन स्थान माने जाते हैं।