मैं तो कुछ सेकण्ड के लिए सच में हडबडा सा गया था और फिर झिझकते हुए मैंने बड़ी मुस्किल से कहा “ शिवानी की कहानियों की किताब है ”. “ उम्म् म...... शिवानी....... शिवानी कौन? ” तुमने फिर से सवाल किया था.. “ पता नहीं.... कोई राईटर हैं.... ” मैंने फिर से झिझकते हुए तुम्हे जवाब दिया..
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की, '' ' काळ की गति बढ़ा दी गयी है. '' ' तो देखो..!... '' '' धरती ने अपनी धुरी से अपना स्थान खिसकाकर समय की गति, काल की गति को बढ़ा कर दिन को अब कुछ सेकण्ड, क्षण छोटा कर दिया और परमात्मा के आदेश का पालन किया. '' '' प्रमाणित हुआ ना की काळ की गति बढ़ गयी है.
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वो मुझे देख सीधा हो गया, उसके रंग उड़ गए, पहले मेरे भी उड़े थे लेकिन जब गौर से उसके लौड़े को कुछ सेकण्ड के लिए निहारा, उसको देखा मेरा जिस्म मचलने लगा, उसने मुझे लौड़ा देखते हुए को देखा था-बाबू जी, हैं तो मर्द ही न! हम भी देख रहे थे, आप भी देखते ही होंगे न! और यह तो करते होंगे नहीं।
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इस विषय के संबंध में कल अपने केन्टीन में एक पोस्टर देखा था जिसमें दिखाया गया था कि एक गाजर को तैयार होने में लगभग ६ माह लगते हैं और उसको जमीन से निकालकर पकाने तक मात्र कुछ ही मिनिट लगते हैं, और हम कई बार सलाद या सब्जी फ़ेंक देते हैं, जिसमें केवल कुछ सेकण्ड ही लगते हैं, यह प्राकृतिक संसाधनों का दुरुपयोग ही तो है जिसे केवल जिम्मेदारी से आम व्यक्ति ही रोक सकता है।
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इस विषय के संबंध में कल अपने केन्टीन में एक पोस्टर देखा था जिसमें दिखाया गया था कि एक गाजर को तैयार होने में लगभग ६ माह लगते हैं और उसको जमीन से निकालकर पकाने तक मात्र कुछ ही मिनिट लगते हैं, और हम कई बार सलाद या सब्जी फ़ेंक देते हैं, जिसमें केवल कुछ सेकण्ड ही लगते हैं, यह प्राकृतिक संसाधनों का दुरुपयोग ही तो है जिसे केवल जिम्मेदारी से आम व्यक्ति ही रोक सकता है।