साथी अपनी जगह पर, सहकारी अपने स्थान पर, कुटुंबी अपने स्थान पर, पैसा अपने स्थान पर, व्यापार अपने स्थान पर, खेती-बाड़ी अपने स्थान पर, इन सबको अपने-अपने स्थान पर रहने दीजिए।
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कुछ सोचकर, चित्रगुप्त से, आप मुझे एक बेर राज्य पर भेज दीजिए, मैंने जितना धन बड़ी-बड़ी कठिनाई और बड़े-बड़े अधर्म से एकत्र किया है सब आपको भेंट करूंगा और मैं निरपराधी कुटुंबी हूँ मुझे छोड़ दीजिये।
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यहॉ पहला सवाल ये पैदा होता है कि दलित मजदूरों के साथ ही नरेगा सचिव, मेट और सरपंच के कुटुंबी जनों को क्यों जोडा गया जबकि अन्य दूसरे स्थानों पर भी नरेगा के काम उनके जातीय आधार पर चल रहे थे।
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मरने के पहले बालक को पिता ने एक कुटुंबी को सौंप दिया था जो कारणवश मुसलमान हो गया था पर उसने सच्चाई से इनकी धर्मरक्षा करते हुए पालन किया और कुछ बड़े होते ही पिता का अंतिम संदेश सुनाकर इन्हें विदा कर दिया।
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चारों तरफ का वातावरण जिसमें हमारे कुटुंबी भी शामिल हैं, मित्र भी शामिल है, घर वाले भी शामिल है, हमेशा इस बात के लिए दबाव डालते हैं कि हमको किसी भी प्रकार से किसी भी कीमत पर भौतिक सफलताएँ पानी चाहिए।
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अगर आप कुटुंबियों की हविश, कुटुंबियों की इच्छा और कुटुंबियों का दबाव इसलिए पूरा करते हैं कि कुटुंबी आपसे प्रसन्न रहेंगे और प्रसन्न रह करके बच्चे आपकी आज्ञा मानेंगे और औरत आपकी कामवासना की पूर्ति के लिए मदद करेगी, इसलिए आपको उन्हें प्रसन्न करना चाहिए, तो आप गलती करते हैं।
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विद्वान, ब्राह्मण के सानिध्य में या स्वयं ही श्री सीता नवमी व्रत का विधिवत् संकल्प लेकर सपत्नीक एवं कुटुंबी जनों के साथ स्वस्तिवाचन सहित नियमपूर्वक गणेश, गौरी, वरुणादि देवताओं का पूजन कर स्थापित सभी देवताओं का तथा किशोरी जी का ‘ श्री सीतायै नमः ' मंत्र से सामथ्र्यानुसार पंचोपचार या षोडशोपचार पूजन करें।
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ऐसी हालत में हम लगातार सत्संग कैसे कर पाएँगे? कभी साल दो-साल में एक-आधा घंटे सत्संग कर लिया, तो क्या उससे हमारा उद्देश्य पूरा हो जाएगा? इसलिए अच्छा तरीका यहीं है कि हम अपने जीवन में नियमित रूप से जैसे अपने कुटुंबी और मित्रों से बात करते हैं, श्रेष्ठ महानुभावों से युग के मनीषियों से बातचीत करने के लिए समय निकालें।