चैनुपर थाना में कांड संख्या 63 / 12 के अंतर्गत की धारा 420, 468 व 471 (छल करने, छल के प्रयोग के लिए कूटरचना करने, व कूटरचित दस्तावेज को जिसके बारे में ज्ञात है कि वह कूटरचित है, असली के रूप में उपयोग में लाने शामिल हैं.)
42.
इसी प्रकार जिस कमरे में करेन्सी नोटों या बैक नोटों की कूटरचना की जा रही थी वह कमरा भी अभियुक्त पूरन सिंह का था, कम्प्यूटर भी अभियुक्त पूरन सिंह का था तथा अभियोजन कहानी के अनुसार अभियुक्तगण देवेन्द्र सिंह दिगारी व रमेश लाल बर्मा उस कमरे में मौजूद थे।
43.
मगर इस मामले में अभियोजन द्वारा जो साक्ष्य पेश किया गया है उससे यह सिद्व है कि अभियुक्त पूरन सिंह जिसकी कनालीछीना में कम्प्यूटर की दुकान थी द्वारा अपने रिहायशी कमरे में कम्प्यूटर की सहायता से पॉच-पॉच सौ रूपये के नोटों को स्केन कर कूटरचना की जा रही थी।
44.
अभियुक्त देवेन्द्र सिंह दिगारी व अभियुक्त रमेश लाल बर्मा के कब्जे से न कूटरचित नोट बरामद हुए न कूटरचना से सम्बन्धित कोई उपकरण बरामद हुआ न उनके घर से किसी प्रकार के कोई कूटरचित नोट या कूटरचित उपकरण बरामद हुये न उन्हे कूट रचित नोटों को चलाते हुए पाया गया।
45.
कूटरचना के द्वारा अभियुक्त कैशर परवेज ने लाईसेन्स प्राप्त किया और जिसे सही के रूप में इस्तेमाल किया और दिनांक 22. 4.94 को शस्त्र विक्रय की दुकान से एस0बी0बी0एल रायफल 315 बोर जिसका न0 93 ए. बी. 1769 बी. वाई. जे. ओ. एफ. रूपया 23600 में क्रय की और इसका उपयोग किया।
46.
क्षणभर तर्क के लिये यह मान भी ले कि उपर्युक्त मुख्त्यारनामा श्रीमती सरोजदेवी ने नगरपालिका के समक्ष प्रस्तुत किया तो अभिलेख पर इस प्रकार की साक्ष्य नहीं आई है कि सरोजदेवी ने इसे टंकित करवाया या इसके निदेश पर इसे टंकित किया गया और कथित कूटरचना सम्बन्धी पंक्ति (ए से बी) इसने जोड़ी।
47.
बाद में लगाई गयी धारायें 419, 420, 467, 468, 177, 295 ए आईपीसी भी कानूनी रूप से ही गलत है क्योंकि यहाँ ना तो किसी की धार्मिक भावना से खिलवाड़ हुआ, ना कोई मूल्यवान दस्तावेज़ की कूटरचना हुई और ना ही किसी को ठग कर पैसे लिए गए.
48.
न्यायालय द्वारा अभियुक्तगण के विरूद्ध दिनांक 25. 8.2003 को तत्कालिन पीठासीन अधिकारी द्वारा जो आरोप धारा 467,468,471 भारतीय दण्ड संहिता के तहत लगाये गये हैं उनमें यह वर्णित किया गया हैं कि अभियुक्तगण ने धोखा देने की नियत से मिथ्या व फर्जी बिल, वाउचर्स, तथा एम. बी. बनाकर मूल्यांवान दस्तावेजात की कूटरचना की तथा उन्हें उपयोग में लिया।
49.
जालसाज शांती सेवा समिति (12 श्यामकुंज, पिकनिक स्पाट रोड, खुर्रम नगर) के डायरेक्टर कन्हैया शर्मा पर आरोप है कि उसने फर्जी चेक से कूटरचना व धोखाधड़ी कर सेन्चुरी पल्प एंड पेपर लालकुआं के खाते से गत 17 जून को 95 लाख रुपये शांती सेवा समिति के खाते में अंतरण करा लिया और इस खाते से 43 लाख रुपये निकाल लिये।
50.
इसी प्रकार अभियुक्ता श्रीमती सरोज की ओर से यह तर्क दिया गया है कि अभियोजन पक्ष ने जिस मुख्त्यारनामा की फोटो प्रति (प्रदर्श पी. 25) के आधार पर इसके विरूद्ध इसकी कूटरचना आदि को लेकर आरोप लगाया है, वह भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 65 की परिधि में नहीं आने से न तो साक्ष्य में ग्राह्य है और न ही इसे विधिवत रूप से सिद्ध किया गया है।