तप: शौचं दया सत्यमिति, पादा कृते कृता: | (२ ४ / १ ७ / ९)
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सर्व सम्पूर्णतामेति कृते नीराजने शिवे॥ भगवान का मंत्र-क्रिया रहित पूजन होने पर आरती कर लेने से पूर्णता आ जाती है।
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आप लोगों ने सब सम्मतियाँ पढ़ लीं, अधिाकांश सम्मति यही है कि ' को ' की उत्पत्तिा ' कृते ' से है।
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यह कृते शब्द प्राकृते में ' किते ' ' किउ ' एवं ' को ' इन तीनों रूपों में ही व्यवहृत हुआ है।
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आपने एक यथार्थ को शेयर किया है, महिमा वैसे नेतागण अपने गुणगान और महिमा मंडन के लिए ऐसे कार्यक्रम आयोजित कृते हैं.
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उदयपुर ऋतुसंहार एक एव एवं कर्म कवि का कार्य कालिदास कावी कि किन्तु किमपि की कृत कृते कृत्वा के केवलं को क्रियते खलु जना जयपुर
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टम्प का अनुमान है कि बँगला कर्म और सम्प्रदान कारक का ' के ' संस्कृत के सप्तमी में प्रयुक्त ' कृते ' शब्द से आया है।
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आयोजन समिति आपके समुचित आतिथ्य एवं मार्ग-व्यय की व्यवस्था करेगी. कृपया आयोजन में भागीदारी की सहमति देकर हमें आश्वस्त करें. आपके सहयोग का आकांक्षी, (संयोजक) कृते संयोजन समिति
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सर्वं सम्पूर्णतामेति कृते नीराजने शिवे।। ” अर्था त.... ‘ पूजन मन्त्रहीन और क्रियाहीन होने पर भी नीराजन (आरती) कर लेने से उसमें सारी पूर्णता आ जाती है।
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' ' संस्कृत रूप ' कृते प्राकृत में किते हो गया, और नियमानुसार त का लोप होने से ' किये ' हुआ, और फिर वही के में परिणत हो गया।