कानपुर ने इस विवाद को आगे बढ़ाते हुए जहाँ अपनी अलग प्रवेश परीक्षा की बात की है वहीं साथ ही यह भी कह कर अपनी बात को आगे बढ़ने का काम भी किया है कि अन्य आईआईटी अगर चाहें तो उसकी इस प्रवेश परीक्षा में शामिल हो सकते हैं इससे केन्द्रीय बोर्ड द्वारा करायी जाने वाली परीक्षा को कितनी मान्यता मिल पायेगी यह भी सोचने का विषय है.
42.
जहां उन्होंने दसवी कक्षा (हाई स्कूल) की बोर्ड परीक्षा को वैकल्पिक बनाने, बारहवीं कक्षा (इंटरमीडियेट) की परीक्षा को एक केन्द्रीय बोर्ड से करवाने तथा उच्च शिक्षा के क्षेत्र में वर्तमान अनेक नियामक संस्थाओं के स्थान पर सिर्फ एक स्वतंत्र नियामक संस्था की आवश्यकता तथा गरीब छात्रों द्वारा शिक्षा हेतु लिए जाने वाले ऋणों पर ब्याज सरकार द्वारा भुगतान किे जाने जैसे अनेक सुधारों की घोषणा की है।
43.
जिला परियोजना समन्वयक मोहनलाल धोबी ने बताया कि जिला शिक्षा सूचना प्रणाली (डार्इस) भारत सरकार का कार्यक्रम है अत: राज्य में शिक्षा के अधिकार ” कानून के परिप्रेक्ष्य में जिले के समस्त सरकारी व गैर सरकारी (मान्यता व गैर मान्यता प्राप्त) प्रा. वि, उ. प्रा. वि, मा. वि., उ. मा. वि, मदरसा एवं केन्द्रीय बोर्ड के समस्त विधालय (जिनमें कक्षा 1 से 12 का अध्ययन कराया जाता है) द्वारा इसमें वैध व विश्वसनीय सूचना भरी जाना आवश्यक है।