ज्ञात इतिहास इसलिये कि पिछले दो सौ सालों के इतिहास में कोई उदाहरण नहीं मिल रहा है कि सीहोर से होकर ये ग्रहण की केन्द्रीय रेखा निकली हो ।
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ज्ञात इतिहास इसलिये कि पिछले दो सौ सालों के इतिहास में कोई उदाहरण नहीं मिल रहा है कि सीहोर से होकर ये ग्रहण की केन्द्रीय रेखा निकली हो ।
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ग्रहण की केन्द्रीय रेखा पर ग्रहण की अवधि कुछ अधिक भी होती है तथा चूंकि ये छाया का केन्द्र होता है अत: यहां पर ग्रहण बिल्कुल पूर्ण होता है ।
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ग्रहण की केन्द्रीय रेखा पर ग्रहण की अवधि कुछ अधिक भी होती है तथा चूंकि ये छाया का केन्द्र होता है अत: यहां पर ग्रहण बिल्कुल पूर्ण होता है ।
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जिले में लगने वाले पूर्ण सूर्यग्रहण पर शोध पत्र तैयार कर रहे साहित्यकार पंकज सुबीर के अनुसार इस बार ग्रहण की केन्द्रीय रेखा हमारे जिले से होकर निकल रही है ।
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इसके बाद ग्रहण की केन्द्रीय रेखा लाड़कूई तथा नसरुल्लागंज मार्ग को लाड़कुई से लगभग 3. 5 किलोमीटर दूर पर क्रास करेगी, ये स्थान भी ग्रहण की केन्द्रीय रेखा के ठीक नीचे आ रहा है ।
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इसके बाद ग्रहण की केन्द्रीय रेखा लाड़कूई तथा नसरुल्लागंज मार्ग को लाड़कुई से लगभग 3. 5 किलोमीटर दूर पर क्रास करेगी, ये स्थान भी ग्रहण की केन्द्रीय रेखा के ठीक नीचे आ रहा है ।
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इसके बाद ये ग्रहण की केन्द्रीय रेखा आगे की ओर बढ़ जायेगी तथा चकल्दी गांव से कुछ दूरी से होकर निकलेगी, इसके बाद कोलार नदी के ठीक पास से होती हुई रायसेन जिले में प्रवेश कर जायेगी ।
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क्या महत्व है केन्द्रीय रेखा का: पंकज सुबीर के अनुसार ग्रहण की केन्द्रीय रेखा पर ग्रहण की अवधि कुछ अधिक भी होती है तथा चूंकि ये छाया का केन्द्र होता है अत: यहां पर ग्रहण बिल्कुल पूर्ण होता है ।
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क्या महत्व है केन्द्रीय रेखा का: पंकज सुबीर के अनुसार ग्रहण की केन्द्रीय रेखा पर ग्रहण की अवधि कुछ अधिक भी होती है तथा चूंकि ये छाया का केन्द्र होता है अत: यहां पर ग्रहण बिल्कुल पूर्ण होता है ।