सुनकर पंडित केवडा प्रसाद बोले-अब मैं का जानूं कौन पती था और कौन पत्नी, उन दोनों में जिसको अपने आप को पती समझना हो पती माने, जिसे पत्नी मानना हो वो पत्नी माने, हमको तो जो कहा गया वही करे हम...... और एक बात कहूं....... तूम जो ईतना भचर-भचर कर रहे हो, कल को का पता तुम ही कोई लडका ले आओ और कहो कि पंडितजी ईस हरिप्रसाद की शादी मुझ दीनूलाल से करवा दो तो हम मना थोडे करेंगे।
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कुछ इसी समलैंगिकता विषय पर मैने भी एक पोस्ट समलैंगिकता और पंडित केवडा प्रसाद लिखी थी-जब हलवाई को शंका हुई कि दो समलैंगिकों के शादी में मिठाई बनाने का आर्डर तो मिल गया, लेकिन पहले जो किसी बच्चे-ओच्चे के जन्म होने पर नामकरण वाला आर्डर मिलता था वो तो अब मिलने से रहा:)वहीं एक मास्टर की चिंता थी-अरे कल मैंने कक्षा में दिनेश को हरिलाल के पास बैठने को कहा तो उसने बैठने से इन्कार कर दिया, कहता है हरिलाल उसे छेडता है।
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AMएक पॉलिन तो अपने यहां ही है....पंपापुर की पिपिहरी देवी....आह.....क्या पिपिहरी बजाती हैं....मक्के के खेत में से एक पत्ती तोड लेती हैं और उसे गोल कर अपने ओठों पर बीडी की तरह रख पी...पी....बजाती रहती हैं...कोई कुछ बोल दे तो पानी पी-पी कर गाली देती हैं....यानि सारे पी फैक्टर उनके साथ यूं ही आ जाते है......उनको अगर चुनाव में उतार दिया जाय तो सच मानिये....पोल पंडित तो पोल पंडित वो पंडित केवडा प्रसाद भी बगले झांकने लगेंगे जो उस दिन उसे पगली कह बैठे थे....यानि फिर एक
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एक पॉलिन तो अपने यहां ही है....पंपापुर की पिपिहरी देवी....आह.....क्या पिपिहरी बजाती हैं....मक्के के खेत में से एक पत्ती तोड लेती हैं और उसे गोल कर अपने ओठों पर बीडी की तरह रख पी...पी....बजाती रहती हैं...कोई कुछ बोल दे तो पानी पी-पी कर गाली देती हैं....यानि सारे पी फैक्टर उनके साथ यूं ही आ जाते है......उनको अगर चुनाव में उतार दिया जाय तो सच मानिये....पोल पंडित तो पोल पंडित वो पंडित केवडा प्रसाद भी बगले झांकने लगेंगे जो उस दिन उसे पगली कह बैठे थे....यानि फिर एक पी।
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कुछ इसी समलैंगिकता विषय पर मैने भी एक पोस्ट समलैंगिकता और पंडित केवडा प्रसाद लिखी थी-जब हलवाई को शंका हुई कि दो समलैंगिकों के शादी में मिठाई बनाने का आर्डर तो मिल गया, लेकिन पहले जो किसी बच्चे-ओच्चे के जन्म होने पर नामकरण वाला आर्डर मिलता था वो तो अब मिलने से रहा:) वहीं एक मास्टर की चिंता थी-अरे कल मैंने कक्षा में दिनेश को हरिलाल के पास बैठने को कहा तो उसने बैठने से इन्कार कर दिया, कहता है हरिलाल उसे छेडता है।