प्रो. पणिक्कर जिन्ना से पहले ही द्विराष्ट्रवाद की विचारधारा के अस्तित्व के प्रमाण स्वरूप 1908 में मुस्लिम लीग के अध्यक्ष सैयद अली इमाम के मुसलमानों को विजेता और हिन्दुओं को विजित जैसे कथनों का उल्लेख करते हैं, द्विराष्ट्रवाद की इस भाषा को वे 1933 में रहमत अली द्वारा वितरित पाकिस्तान पत्रक तक ले जाते हैं।
42.
कचहरी में खड़ी भीड़ की ओर उछाले गए मेरे प्रश्न कर दिए गए हैं जमा-रजिस्टरों में शिकायतों की पुष्टि के प्रमाण स्वरूप जीवन को किरणों की तीखी धार से काटते-छीलते मैंने जब भी चमकाए खोज-खोज घूरे पर फेंके या कीचड़ में फँसे शब्द तो हड़प लिए गए वे बीच रास्ते में-कविता और मैं इस सारी प्रक्रिया में भकुआए से खड़े हैं देते हुए परस्पर सांत्वना अबूझ समीकरणों के हल हो जाने की प्रतीक्षा में.....