जहाँ तक क्रोध का सवाल है, अपने पर आए किसी भी प्रकार के संकट के लिए क्रोधित होना और किसी अन्य पर हो रहे अत्याचार या विसंगतियों के लिए क्रोधित होना, दोनों दो बात है.
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जहाँ तक क्रोध का सवाल है, अपने पर आए किसी भी प्रकार के संकट के लिए क्रोधित होना और किसी अन्य पर हो रहे अत्याचार या विसंगतियों के लिए क्रोधित होना, दोनों दो बात है.
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प्रश्न: मैं अपने क्रोध पर कैसे नियंत्रण पा सकता हूँ? मैं बहुत छोटी छोटी बातों पर क्रोधित हो जाता हूँ? श्री श्री रवि शंकर: अगर तुम्हे क्रोधित होना ही है तो बड़ी बड़ी बातों पर क्रोधित हो।
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कोई भी क्रोधित हो सकता है-यह आसान है, लेकिन सही व्यक्ति से सही सीमा में सही समय पर और सही उद्देश्य के साथ सही तरीके से क्रोधित होना सभी के बस कि बात नहीं है और यह आसान नहीं है.
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मासिकधर्म बंद होने के समय विषाद-वायु रोग होना, गहरी सुस्ती होना, अकेले रहने की इच्छा करना, अपने आप पर क्रोधित होना, मन के दु: ख को दूर करने के लिए आत्महत्या करने की इच्छा होना आदि ।
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अब जबकि हमने इस रिपोर्ट के लिए शोधकार्य को अंजाम दिया और मलोत्सर्ग की राजनीतिक अर्थव्यवस्था को भली भांति व्याख्यायित भी किया लेकिन इस दौरान ऐसा तथ्य भी सामने आया जिसे जानकर हम सबका क्रोधित होना लाजिमी है और ऐसा होना भी चाहिए।
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बात-बात में क्रोधित होना, अपनी बात मनवाने के लिए दुराग्रह करना, भौंहें चढ़ाना, आँखें तैरना और दाँत कटकिटाने से लेकर मनोभावों और शरीर की मुद्राओं का बनना-बिगड़ना इस बात को सिद्ध करता है कि बहस करने वाला मनोरोगी होता जा रहा है।
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कोई भी व्यक्ति कभी भी क्रोधित हो सकता है, यह आसान है, लेकिन सही व्यक्ति के ऊपर, सही सीमा में, सही समय पर और सही उद्देष्य के साथ सही तरीके से क्रोधित होना सभी के बस की बात नही होती और यह आसान भी नही होता।
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यम का अर्थ है ‘लगाम कसना ' या ‘नियंत्रित करना' निम्न सहज प्रकृति को, जैसे की क्रोधित होना एवं दूसरों को नुकसान पहुँचाना, झूठ बोलना और चीजों को अपने हित में हेरफेर करना, एवं चोरी करके वो हासिल करना जो हम पाने की खवाहिश रखते हैं पर वैसे पा नहीं सकते।
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तुम्हें अपने अंदर इस सद्गुण का विकास करना चाहिए जिससे कि तुम क्रोधी व्यक्ति के पास जाकर उसके क्रोध का कारण पूछ सको और यदि तुमने उसे किसी रूप में चोट पहुँचाई है तो अपना सुधार कर सको, अन्यथा उसे उसकी त्रुटि बता सको और यह प्रतीत करा सको कि क्रोधित होना ग़लत है।