भाषा के सामाजिक संदर्भ में व्यक्तिबोली, क्षेत्रीय बोली और सामाजिक बोली की संकल्पना को स्पष्ट करते हुए उदाहरण के तौर पर अपनी अंडमान और निकोबार की यात्रा के बारे में बताया.
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यह सब्जी कम से कम हमारे इस छत्तीसगढ़ प्रांत मे मठे व भिन्डी जिसे हम यहाँ क्षेत्रीय बोली में रमकेरिया / रमकलिया कहते हैं. के साथ काफी चाव से खाई जाती है.
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शाक सब्जी का जिक्र इसलिए यहाँ किया गया है कि हमारी क्षेत्रीय बोली में एक सब्जी “ कोचई ” जिसे अरबी, घुइंया भी कहते हैं का उल्लेख टिपण्णी के माध्यम से हुआ है.
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पहले स्तर पर भाषा का मूल रूप एक सीमित क्षेत्र में आपसी बोलचाल के रूप में प्रयुक्त होने वाली बोली का होता है, जिसे स्थानीय, आंचलिक अथवा क्षेत्रीय बोली कहा जा सकता है।
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एर्सी स्थिति में अपने क्षेत्र के व्यक्ति से क्षेत्रीय बोली में बातें होती हैं किन्तु दूसरे उपभाषा क्षेत्र अथवा बोली क्षेत्र के व्यक्ति से अथवा औपचारिक अवसरों पर मानक भाषा के द्वारा बातचीत होती हैं।
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इसी साधना की एक विधि यह थी कि हिन्दी के जातीय रूप के तौर पर खड़ी बोली के प्रचंड समर्थक रवि अपने क्षेत्र के किसी भी मनुष्य को देखते ही क्षेत्रीय बोली में शुरु हो जाते थे।
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और इस नवरात्रि में यशगान खासकर हमारी क्षेत्रीय बोली में ढोल मांदर के साथ माँ का यश-गायन, जिसे जस गीत कहा जाता है, अंगों में स्फुरण पैदा कर देता है झूमने लग जाते हैं....
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अभी तक नेता अपने क्षेत्र की जनता के बीच ही क्षेत्रीय बोली में अपनी बात कहने को प्राथमिकता देते रहे हैं, मगर चुनाव करीब आने और टिकट पाने की चाहत में बोली को राजधानी तक पहुंचा दिया है।
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अभी तक नेता अपने क्षेत्र की जनता के बीच ही क्षेत्रीय बोली में अपनी बात कहने को प्राथमिकता देते रहे हैं, मगर चुनाव करीब आने और टिकट पाने की चाहत में बोली को राजधानी तक पहुंचा दिया है।
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-ः मूल बोली व भाषा भूलकर जिन जनजातियों ने क्षेत्रीय बोली छत्तीसगढ़ (अपने भाषा परिवार की बोली) को अपनाया है वे है ः-कंवर, ंिझवार, भूंजिया, धनवार, मैना, बैगा और हल्बा ।