कि सी व्य क्ति की एका न्तता, परि वा र, घर या पत्रव्य वहा र के प्रति को ई मनमा ना हस्त क्षेप न कि या जा एगा, न कि सी के सम्मा न और ख्या ति पर को ई आक्षेप हो सकेगा ।
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सरकार कानूनो का हवाला देकर अपनी मजबूरी जताती है, सुरक्षा और जांच से जुडी ऐजेंसिया राजनैतिक हस्त: क्षेप की बात करते है तो अन्धी न्याय व्यवस्था, अप्रयाप्त सबूतो का रोना रोकर अपने दामन को पाक-साफ़ दिखाने मे कोई कसर बाकी नही छोडती ।
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पानी मे भीगने से हाथ पैरो की उगलिया नीली पडने लगती थी इस स्वार्गिक अनुभव का पटा क्षेप भी बडा ही स्वादिष्ट, महक भरा व गर्मागरम होता था जब चूल्हे के चारो ओर बैठ कर गर्म-गर्म पकोडे, कचोडी व पुओं का रस्वादन होने लगता था.
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बात अगर व्योमेश की कविता से शुरू हो कर कविता तक पहुंची और फिर उसकी समझ और आलोचना के paradigm से होते हुए कुछ व्यक्तिगत स्पस्टीकरण, क्षेप-आक्षेप तक आ गयी है तो यहाँ एक बात स्पष्ट हो जाती है, human constructs में objectivity भी subjective ही होती है.
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जब गवर्नर को इन विचारविनिमयों का पता चला तो उन्होंने मुख्य सचिव और पुलिस के इंस्पेक्टर-जनरलसे सीधे बातचीत की और इसके बाद मुख्यमंत्री तथा संयुक्त मोर्चे के अन्यमंत्रियों को भी कड़ी चेतावनी दी कि वे निवारक निरोध-अधिनियम का ऐसाअन्धाधुन्ध प्रयोग न करें जिससे उन्हें हस्त-~ क्षेप करने के लिये विवशहोना पड़े.
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इतनी आजादी तो हमारे पास अग्रेंजो के दौर मे भी थी, बल्कि यो कहे कि उन्होने सिर्फ़ वहा लोगो का दमन किया, जहां लोगो से उन्हे उनके एकछत्र राज को चुनौती मिली, अन्यथा तो मै समझता हू कि उन्होने किसी की व्यक्तिगत आजादी मे कोई हस्त: क्षेप नही किया।
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बात अगर व्योमेश की कविता से शुरू हो कर कविता तक पहुंची और फिर उसकी समझ और आलोचना के paradigm से होते हुए कुछ व्यक्तिगत स्पस्टीकरण, क्षेप-आक्षेप तक आ गयी है तो यहाँ एक बात स्पष्ट हो जाती है, human constructs में objectivity भी subjective ही होती है.
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पत्रकारिता के स्वरूप में परिवर्तन को हम देख सकते हैं कि किस प्रकार संपादक और प्रबंधक की चक्की में पीसने से बचने के लिए, आज अधिकांश पत्रकार और पढ़े-लिखे लोग अपनी बात को बिना किसी कांट-छांट के, बिना किसी हस्त क्षेप के न्यू-मीडिया के मध्यकम से समाज के सामने प्रस्तुत कर रहें हैं।
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गवाह ने इस सुझाव को सही बताया कि आवेदन-पत्र प्रदर्श पी13 अनुसार सोहनलाल ने नगरपालिका, जेतारण से यह मांग की थी कि उसे पालिका मण्डल की बैठक दिनांक 4-4-1998 के प्रस्ताव संख्या 19 अनुसार बकाया वेतन दिया जावे तथा वेतन भुगतान के पश्चात यदि कोई आडिट आ क्षेप या वसूली होगी तो सारी जिम्मेदारी उसकी होगी।
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ये भी नही है कि अभी कुछ सालों मे ही आवादी बढी हो, हां बढे है तो सड्कों पर वाहन, राजनैतिक हस्त: क्षेप, बेरोजगार और हुडदंगी, जो ये सोचते है कांवड के नाम पर सडकों पर हमारी खूब आवाभगत होती है इसलिये डिवाईडर के दोनो ओर के सडक पर जंहा मर्जी हो, वहां बेधडक चलकर अपना हुडदग दिखायें।