उन्होंने खगोल-विज्ञान, अंतरिक्ष विज्ञान, अंतरिक्ष उपयोग के क्षेत्रों में राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय पत्रिकाओं में 200 से अधिक आलेख प्रकाशित किए हैं और 6 पुस्तकों को संपादित किया है।
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खगोल-विज्ञान में उपग्रह ग्रह के चारों ओर परिक्रमा करते हैं और इस दृष्टि से चंद्रमा एक ऐसा उपग्रह है जो धरती ग्रह के चारों ओर परिक्रमा करता है।
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खगोल-विज्ञान हालाँकि सबसे पुराना विज्ञान है, परन्तु ब्रह्माण्ड की संरचना और इसके विस्तार के बारे में सही सूचनाएँ पिछले करीब तीन सौ वर्षों में प्राप्त हुई हैं।
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कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय, लॉस एंजेलेस में भौतिक शास्त्र और खगोल-विज्ञान के प्राध्यापक डेविड साल्ट्ज़बर्ग पटकथा की जांच करते हैं और संवाद, गणितीय समीकरण और समर्थन के लिए रेखा-चित्र प्रदान करते हैं.
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कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय, लॉस एंजेलेस में भौतिक शास्त्र और खगोल-विज्ञान के प्राध्यापक डेविड साल्ट्ज़बर्ग पटकथा की जांच करते हैं और संवाद, गणितीय समीकरण और समर्थन के लिए रेखा-चित्र प्रदान करते हैं.[3]
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खगोल-विज्ञान, रसायन-विज्ञान, धातु-विज्ञान पादप-विज्ञान में कई आविष्कार और भारतीय दर्शन के अंग के रूप में तर्क, भाषा-विज्ञान और व्याकरण के अति परिष्कृत पहलुओं पर कार्य भारतवर्ष में हुए।
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खगोल-विज्ञान में आर्यभट के बाद लगभग 1000 वर्ष तक ब्रह्मगुप्त, लल्ल, श्रीपति आदि ने अपनी मनीषा का उपयोग यह सिद्ध करने में किया कि पृथ्वी अपनी धुरी पर नहीं घूमती है।
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अकादमी द्वारा प्रकाशित अन्य जर्नल है: प्रमाणन-भौतिकी की पत्रिका, मैटिरियल साईंस का बुलेटिन, बायोसाईंसिस का बुलेटिन, खगोल-विज्ञान और खगोल-भौतिकी का बुलेटिन, आनुवंशिकी और प्रतिध्वनि का जर्नल: विज्ञान शिक्षा की पत्रिका।
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यह एक विस्तृत ग्रंथ है जो धर्म और दर्शनत्योहारों खगोल-विज्ञान कीमिया रीति-रिवाजों तथा प्रथाओं सामाजिक जीवन भार-तौल तथा मापन विधियों मूर्तिकला कानून मापतंत्र विज्ञान आदि विषयों के आधार पर अस्सी अधयायों में विभाजित है।
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उन्होंने अपने आर्यभट्टीय नामक ग्रन्थ में कुल ३ पृष्ठों के समा सकने वाले ३३ श्लोकों में गणितविषयक सिद्धान्त तथा ५ पृष्ठों में ७५ श्लोकों में खगोल-विज्ञान विषयक सिद्धान्त तथा इसके लिये यन्त्रों का भी निरूपण किया।