आप उनको रहने दीजिए कि वह खा लें और चैन उड़ा लें और ख़याली मंसूबा उन्हें ग़फलत में डाले रखें, उन्हें अभी हक़ीक़त मालूम हुई जाती है ''
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-विनोद “ख़स्ता” सुब्हे-वाइज़ = उपदेशक (पंडित, मुल्ला, पादरी, गुरु) का सवेरा पैगा़म = संदेश तौबा = न पीने की क़सम खा़म-ख़याली इस ख़ाम-ख़याली में, उनसे बड़ी ग़फ़्लत हुई!
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उस में मुझे उतना ही मज़ा आया जितना अपने ख़याली बेसबाल खेलों में आता था, और मैं जानता हूँ कि उस से मेरी बॉलिंग में काफी सुधार आया था।
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उन का नफ़स (आत्मा) ख़याली (काल्पनिक) बातों पर उन्हें क़ाबू में ले आता है, और वह यक़ीनी (विश्वसनीय) बातों पर उसे नहीं दबा लेते।
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यही है दूर की गुमराही {12} ऐसे को पूजते हैं जिसके नफ़े से (7) (7) यानी जिसकी पूजा के ख़याली नफ़े से उसके पूजने के …
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बीच में कमज़ोरी बीमारी और जर्जरता! बस अब ज़िन्दगी में यही देखने को रह गया है क्या? इसे शायद आप मूर्खता भरा ख़याल कहेंगे या शायद परेशान ख़याली कहेंगे.
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बस यही सारे ख़याली पुलाव पकाते हुए मैं ऑडिटोरियम में घुसी और घुसते ही अपने सपनों पर रायता फैला दिया, वहां बिछी दरी में मेरा पैर फंसा और मैं वहीँ गिर गयी।
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नूरित अपनी ख़याली दुनिया में डूबी थी कि चंद्रा ने आकर कहा-दीदी नाश्ता तैयार है, चलिए नाश्ता कर लीजिए | ओह, चंद्रा मैं तो भूल ही गई थी।
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फ़िर बच्चे तो मासूम होते ही हैं क्योंकि वे भूत-भविष्य की सही-गलत ख़याली चिंताओं से अछूते होते हैं और वर्तमान में ही जोश ख़रोश से जीते हैं, खेलते हैं और मिलते हैं...
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ख़याली भ्रमों और वहमी रस्मों ने ही जीवन से स्नेह को बेदख़ल किया है हम सबों से! संशय, ज़िद और नासमझी से ही तो आदमी उलझनों और गिरोहों में बॅंटा है।