पेपर से स्टेपलर पिन निकलना हो या किसी चीज़ को खुरचना हो, इन सब कामों के लिए यदि आप अपने नाखूनों का प्रयोग कर रहे है तो आप गलत कर रहे है।
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यूँ बूँद-बूँद आँखों से बरसना भी कोई रोना है तुम इसे दुःख कहते हो न, ये दुःख नहीं रोने के लिए आत्मा को निचोड़ना पड़ता है लगातार खुरचना पड़ता है सबसे नाजुक घावों को मुस्कुराहटों में घोलना पड़ता है आंसुओं का नमक
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अब तक के कठिन जीवन से मिली कठोरता ने उनके अंदर के स्त्री सुलभ कोमल भावों को परतों के घेरे से घेर कर बंद कर दिया है और मोती के प्रस्ताव ने उन भावों के ऊपर से परतों को खुरचना प्रारंभ कर दिया है।
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अब तक के कठिन जीवन से मिली कठोरता ने उनके अंदर के स्त्री सुलभ कोमल भावों को परतों के घेरे से घेर कर बंद कर दिया है और मोती के प्रस्ताव ने उन भावों के ऊपर से परतों को खुरचना प्रारंभ कर दिया है।
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अब तक के कठिन जीवन से मिली कठोरता ने उनके अंदर के स्त्री सुलभ कोमल भावों को परतों के घेरे से घेर कर बंद कर दिया है और मोती के प्रस्ताव ने उन भावों के ऊपर से परतों को खुरचना प्रारंभ कर दिया है।
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दूसरा पहलु यह है कि अगर नाम खुरचना था तो आपके ब्लॉग से वह लेख लिया ही क्यूँ गया? इसका मतलब वो लोग आपके ब्लॉग के कंटेंट को तो इस्तेमाल कर रहे हैं पर आपका नाम देने में उन्हें दिली तकलीफ होती है.
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इब्ने क़ुदामा अल-मुग़नी (1 / 763) में कहते हैं: ” अगर हम उस की पवित्रता की बात को मान लें तो उस को खुरचना मुस्तहब (ऐच्छिक) है, और अगर उस को खुरचे बिना नमाज़ पढ़ ले तो यह उसके लिए काफी है।
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कुरेदना (सं.) [क्रि-स.] 1. किसी पदार्थ या चीज़ में नीचे की तरफ़ से कुछ निकालने के लिए ऊपर की परत को हटाना ; खुरचना 2. किसी कठोर सतह पर कुछ उत्कीर्ण करना ; खरोंचना ; उकेरना ; उभारना 3. लकड़ी, कोयले आदि की राख झाड़कर आग को दहकाना 4.
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मुकेश जी के दर्द भरे गीत सुनना, याने गोया खपली पडे़ ज़ख्म को चाह कर फ़िर से खुरचना,तब तक की भिलभिला कर रक्त ना बहने लगे और फ़िर से ताज़ा हो जाये वही ज़ख्म जो हम सालों से अपने दिल की गहराई में छुपा का संजोये फ़िरते हैं, जो हमें कभी अपनों ने दिये थे, जिन्हे स्वर दे देता है मुकेश की किसी भी गानें का बहाना.
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मुकेश जी के दर्द भरे गीत सुनना, याने गोया खपली पडे़ ज़ख्म को चाह कर फ़िर से खुरचना, तब तक की भिलभिला कर रक्त ना बहने लगे और फ़िर से ताज़ा हो जाये वही ज़ख्म जो हम सालों से अपने दिल की गहराई में छुपा का संजोये फ़िरते हैं, जो हमें कभी अपनों ने दिये थे, जिन्हे स्वर दे देता है मुकेश की किसी भी गानें का बहाना.