एक बात और-किसी घटना के ज्ञान को झट विवरणात्मक चित्रण में रूपान्तरित करने की जल्दी मेरे स्वभाव में नहीं है, मुझे उस आत्म-प्रकाशित, (शायद मेरी अपनी दृष्टि से पूर्ण (?) किसी ऎसे क्षण की तलाश रहती है, जिसमें अनुभव कम-से कम एक बार, काल के सभी आयामों में एकबारगी खुलता हुआ दिखायी दे जाए-किसी चित्र की तरह, जिसकी सतह तो सपाट होती है, पर जिसमें कितनी ही वीथियां, परतें, काट, तराश एक साथ दीख जाती हैं.
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मुझे डर लगता है, कहीं मेरे पति घर में घुसते ही इन पर चप्पलों की चटाख-चटाख बौछार न कर दें या मेरी सास इन पर केतली का खुलता हुआ पानी न डाल दे! मैं जानतीं हूँ, ये मेरा वहम है, पर यह लाइलाज है और मैं इस वहम का बोझ नहीं उठा सकती! “ ” इन दोनों के रूप में तुम्हारी बेटी तुम्हें सूद सहित वापस लौटा रहीं हूँ! इनमें तुम मुझे देख पाओगे शायद! ”
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एक बात और-किसी घटना के ज्ञान को झट विवरणात्मक चित्रण में रूपान्तरित करने की जल्दी मेरे स्वभाव में नहीं है, मुझे उस आत्म-प्रकाशित, (शायद मेरी अपनी दृष्टि से पूर्ण (?) किसी ऎसे क्षण की तलाश रहती है, जिसमें अनुभव कम-से कम एक बार, काल के सभी आयामों में एकबारगी खुलता हुआ दिखायी दे जाए-किसी चित्र की तरह, जिसकी सतह तो सपाट होती है, पर जिसमें कितनी ही वीथियां, परतें, काट, तराश एक साथ दीख जाती हैं.