यह वात-रक्त, कुष्ट,कृमि, वात, कफ, रूधिर त्वचा,-दोष, ग्रहपीड़ा,भूतबाधा, और दृष्ट्दोष को नष्ट करती है | तथा पित्त एवं अग्निवर्धक,रूधिर कारक, हल्की,कसैली, और तीव्र गंधयुक्त है |
42.
[38] इस क्षेत्र में ग्रेट लेक्स द्वारा पुख्ता संशोधनों के कारण, एक निश्चित समुद्रीय गंधयुक्त काफी नम तथा महाद्वीपीय प्रकार की जलवायु का अनुभव होता है (कौप्पेन जलवायु वर्गीकरण “ DFB ”-समान एवं शीघ्र वितरण).
43.
अलसी के बीज हल्की तैलीय गंधयुक्त होते हैं जिनमें मुख्य रूप से ग्लिसराइड्स व अनेक महत्वपूर्ण वसीय अम्ल जैसे लिनोलिक व लिनोलेनिक एसिड, पामिटिक, स्टियरिक, ओलिक एसिड के अलावा आमेगा 3 फेटी एसिड जो हृदय को स्वस्थ रखते हैं आदि पाए जाते हैं।