मेहता गंभीर भाव से बोले-आपका खयाल बिलकुल गलत है मिर्जा जी! मिस मालती हसीन हैं, खुशमिजाज हैं, समझदार हैं, रोशनखयाल हैं और भी उनमें कितनी खूबियाँ हैं, लेकिन मैं अपने जीवन-संगिनी में जो बात देखना चाहता हूँ, वह उनमें नहीं है और न शायद हो सकती है।
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क्या दारोगा इसे महसूस करते हुए बदल नहीं रहा? कहानी के प्रारंभ में अलोपीदीन के बारे में दारोगा की जो राय है वह अंत तक काबिज रहती है क्या? क्या वह पूरी की पूरी बदल नहीं गई है? ‘ वंशीधर ने गंभीर भाव से कहा-यों मैं आपका दास हूं।
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उदास होकर बोले-' क्या तुम्हारा भी यही विचार है नैना? ' नैना ने और रद्दा जमाया-' आप अछूतों को मंदिर में भर देंगे तो देवता भ्रष्ट न होंगे? ' शांतिकुमार ने गंभीर भाव से कहा-' मैंने तो समझा था, देवता भ्रष्टों को पवित्र करते हैं, खुद भ्रष्ट नहीं होते।
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राजा ने कहा, अच्छा बहुत बक-बक मत कर, तेरी बुध्दि भ्रष्ट हो गयी है, शराब तो नहीं पी ली? देहाती ने गंभीर भाव से कहा, मैंने न शराब पी है, न पागल हूं, मैं इसे केवल इसीलिये मारता हूं जिससे यह इस देश के अत्याचारी राजा के किसी काम का न रहे।