‘दूल्हे ' का मुंह ही मीना नहीं देख पायी,...और इस देखने न देखने में फल भी नहीं खा सकी-स्वप्न में फल खाना; शास्त्रों के अनुसार जिसका अर्थ गर्भ धारण करना होता है.
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रामावती के लिए गर्भ धारण करना एक बड़ी मुसीबत बन गया था क्यों कि उसका गाँव बाड़ की लपेट में था और कहीं भी कोई सूखा स्थान नहीं था जहां पर वह आराम कर सके।
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रामावती के लिए गर्भ धारण करना एक बड़ी मुसीबत बन गया था क्यों कि उसका गाँव बाड़ की लपेट में था और कहीं भी कोई सूखा स्थान नहीं था जहां पर वह आराम कर सके।
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वे न तो यह सुनिश्चित कर सकती हैं कि उनका संगी कॉन्डोम इस्तेमाल या फिर उनके प्रति निष्ठावान रहे, न ही उन्हें यह तय करने का अधिकार है कि वे गर्भ धारण करना चाहती हैं अथवा नहीं.
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वे न तो यह सुनिश्चित कर सकती हैं कि उनका संगी कॉन्डोम इस्तेमाल या फिर उनके प्रति निष्ठावान रहे, न ही उन्हें यह तय करने का अधिकार है कि वे गर्भ धारण करना चाहती हैं अथवा नहीं.
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बृहदारण्यकोपनिषद के चौथे ब्राह्मण में सन्तान प्राप्ति हेतु मन्त्रों का विवरण दिया गया है इन मन्त्रों द्वारा गर्भ धारण करना, गर्भ निरोध करना एवं स्त्री प्रसंग को भी यज्ञ प्रक्रिया के रूप में उल्लेखित किया गया है.
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यह इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि 15 साल से जिस महीला के मासिक धर्म बंद हो गए हों, बढ़ती उम्र और शारीरिक अव्यवस्थाओं के कारण अण्डाणु बनना बंद हो चुके हों और उम्र 60 साल के पार हो जाए तो महिला के लिए गर्भ धारण करना आसान काम नहीं होता है।
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परिवार के अभिलाषाएं और पति की इच्छा उन्हें इस बात का अधिकार ही नहीं देती हैं कि उन्हें गर्भ धारण करना चाहिए या नहीं? अथवा उन्हें कब और कितने अंतराल में गर्भधारण करना चाहिए? ग्रामीण क्षेत्रों में और शहरी क्षेत्रों की झुग्गी-झोपड़ी बस्तियों में लगभग 70 प्रतिशत महिलाएं घरों में अप्रशिक्षित दाइयों से प्रसव कराती हैं।
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पति नामधारी पुरुष के बिना गर्भ धारण करना और फिर भरण-पोषण करना संभव होता और उसमें समाज का कोई दखल नहीं होता तो मैं अपनी दसों इन्द्रियों की कसम खाकर कहती हूं, मेरी अजन्मी पुत्रियों, मैं अभी से सिर्फ और सिर्फ लडक़ियों को जन्म देती, जिनकी संख्या कम से कम दो दर्जन होती बल्कि इससे भी ज्यादा कर पाती तो मुझे और मजा आता । ''
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पति नामधारी पुरुष के बिना गर्भ धारण करना और फिर भरण-पोषण करना संभव होता और उसमें समाज का कोई दखल नहीं होता तो मैं अपनी दसों इन्द्रियों की कसम खाकर कहती हूं, मेरी अजन्मी पुत्रियों, मैं अभी से सिर्फ और सिर्फ लडक़ियों को जन्म देती, जिनकी संख्या कम से कम दो दर्जन होती बल्कि इससे भी ज्यादा कर पाती तो मुझे और मजा आता।” शाखा जब कॉलेज में पढती थी तब से ही सहेलियों से अपने मनोभावों को शेयर करती हुई यह इच्छा जताती थी कि वह बहुत सारी लडक़ियों की मां बनना चाहती है।