पेट दर्द को दूर करने हेतु एक घरेलू इलाज इस प्रकार है, जो दर्द दूर करने के साथ ही पेट की क्रियाओं को भी ठीक करता है-नुस्खा: गुड़ दस ग्राम लेकर इसमें आधा चम्मच खाने का गला हुआ चूना मिलाकर गोली बना लें।
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मीडिया की मंडी से सड़ा और गला हुआ प्याज उठाकर रामोजी में झोंकने वाले इस षख्स से जब दस साल पहले मिला थाए तब मेरा वेतन 22 हजार रुपए मासिक हुआ करता था और जनाब ने मेरा टेस्ट बगैरह लेने के बाद मुझे छह हजार रुपए देने की पेषकष की थी।
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देश में नक्सलवाद और माओवाद के जन्म का कारण ये लाल फीते से बंधा हुआ नौकरशाह और भ्रष्ट नेताओं का नेक्सस है जिस दिन ये टूट जाएगा, ये गला हुआ सिस्टम नष्ट हो जाएगा उसी दिन आम आदमी की गरीबी, भूख, तकलीफ से मौत होनी बंद हो जायेगी।
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साक्षी के अनुसार मृतक का पूरा षरीर सडा गला हुआ था और मृतक की मृत्यु का सही कारण पता नही चल सका परन्तु मृतक की मृत्यु का समय उसके परीक्षण करने से पॉच से दस दिन के बीच का था क्योंकि षव पूरा सडा गला था इसलिये मृत्यु का निष्चित कारण पता नही चला सका।
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यह देख रद्दी कागज, प्लास्टिक के टुकड़े, नेपकिन, लोहे की जंग लगी तार, डिब्बे, कांच की शीशियां, ढक्कन, गला हुआ गत्ता, फटी हुई टोकरी, टाट, पुराने-चिथड़े कपड़े. यह देख, इसका तो मैं नाम भी नहीं जानती, देख इन्हें, और ले जाकर अपने मालिकों को सौंप दे.
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नूर ने अपने प्याले में ठंडी हो चुकी चाय को एक घूँट में खत्म किया और उस भयानक रात के बारे में बताने लगे, जिस रात उनका पूरा परिवार गैस-कांड में मारा गया था, ‘‘ उस रात जिस टैंक से गैस निकली थी, उसका कार्बन-स्टील वॉल्व गला हुआ पाया गया था, लेकिन उसे ठीक नहीं कराया गया था।
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यहाँ तक कि जब वो दीवार दोनों पहाड़ों के किनारों से बराबर कर दी कहा धौंको, यहाँ तक कि जब उसे आग कर दिया कहा लाओ मैं इसपर गला हुआ तांबा उंडेल दूं {96} तो याजूज माजूज उसपर न चढ़ सके और न उसमें सूराख़ कर सके {97} कहा (27) (27) जुल-क़रनैन की.-
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दराल जी आपके सवाल का जवाब पोस्ट में ही दे दिया है......!! आप हम पाठकों के लिए मुफ्त में जो इतनी जानकारी दे रहे हैं...आपके लिए श्रद्धा और बढ़ जाती है....उस पे इतनी रोचक टिप्पणियाँ....अविनाश जी भी कभी कभी कमाल का लिख देते हैं.....अभी कुछ दिनों पहले इन्हें आचार में “ढाई सौ ग्राम का गला हुआ चूहा मिला”....था....!! आपने जिस तरह सबकी जिज्ञासाओं का समाधान किया है काबिले तारीफ है.....!!
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सहसा देर गयी रात में देशद्रोही हत्यारे के हाथों में देशप्रेम से दीप्त प्राण ढालते हैं अपना रक्त, जिसका साक्षी है सूरज ; फिर भी प्रतिज्ञा तैरती है हवा में अकेले, यहाँ चालीस करोड़ अब भी जीवित हैं, भारत भूमि पर गला हुआ सूरज झरता है आज-दिग-दिगन्त में उठ रही है आवाज़, रक्त में सुर्ख टटकी हुई लाली भर दो, रात की गहरी टहनी से तोड़ लाओ खिली हुई सुबह उद्धत प्राणों के वेग से मुखर है आज मेरा यह देश, मेरे उध्वस्त प्राणों में आया है आज दृढ़ता का निर्देश।