माँ के भवन के पीछे पूर्व दिशा में पर्वत काफी ऊँचाई लिए हुए हैं और भवन के ठीक सामने पश्चिम दिशा में पर्वत काफी गहराई लिए हुए हैं, जहाँ त्रिकुट पर्वत का जल निरंतर बहता रहता है।
42.
किसने कितने घाव दिये छोडो भी, गिनवाना क्या 'नीरज' सुलझाना सीखो मुद्दों को उलझाना क्या क्या बात है नीरज जी बहुत ही अच्छे शब्दों में लिखी बहुत ही गहराई लिए हुए शानदार रचना बहुत बहुत बधाई आपको / मेरी नई पोस्ट पर आपका स्वागत है /जरुर पधारें /
43.
विशाल साहब की कवितायेँ बहुत प्रभावशली है....हर कविता अपने आपमें बहुत गहराई लिए हुए है ये भावों के भवसागर के सामान है जिसमे गोते खाकर मन आनन्दित हो जाता है......इतने अच्छे अनुवाद के लिए आपका और इतनी अनुपम रचनाओं के लिए विशाल साहब का आभार!
44.
आदाब आपकी लेखनी के कद्रदानों की फेहरिस्त हालांकि बहुत लम्बी है, पर उन्हीं में एक अदना सा मेरा नाम भी शरीक हैं, इसे क्या कहूं की आपसे कई बार राब्ता करना चाहा पर वहीं हो पाया जैसा इस लेख का सवाल है यह वाकई एक गहराई लिए हुए है........
45.
पी0ड0-4 डा0 जेसी0ध्यानी हैं जिनके द्वारा दिनांक 5-9-07 को मृतक का शव परीक्षण किया गया और उसके शरीर पर मृत्यु पूर्व की चोट बांई जांघ के घुटने से 15 सेमी मध्य भाग में आगे की तरफ कटा हुआ घाव 8 सेमी लम्बा व 4 सेमी चौड़ा और 3 सेमी गहराई लिए हुए था।
46.
आप बहुत अच्छा लिखते हैं और आप उन चंद युवा लेखकों में हैं जिनकी हर रचना हमारे पूरे परिवार में पढ़ी जाती है, आपके संस्मरण भी बहुत गहराई लिए हुए है और सच मानो तो इसमें अपने समय कि धडकन मौजूद है लेकिन क्या पॉर्न फिल्म देखना और फिर उसे आम भी कर देना आप जैसे संवेदनशील लेखकके लिए उचित है?
47.
गहरी नदी की धारा सी शांत लेकिन कहीं चंचल लगने वाली मोना के व्यक्तित्व ने जहाँ प्रभावित किया वहीं झरने सी झर झर बहती अनिता के स्वभाव ने मन मोह लिया.... समुद्र की गहराई लिए हुए दो ब्लॉगर कवि धीरे धीरे सहज हो गए और फिर महफिल ऐसी लगी कि मन ने चाहा बस यूँ ही दोनों कवियों का कविता पाठ चलता रहे...
48.
हिन्दू-धर्म के अन्दर ऊँच-नीच का भेदभाव बहुत गहराई लिए हुए था-जब आपजी ने देखा तो अपने उपदेशो से सामजिक ढांचे को एक सूत्र में बाँधने का प्रयास किया-अपनी सरल भाषा मेंसबको समझाया की इंसान एक दूसरेका भाई हैं-ईश्वर सबका परमात्मा हैं, पिता हैं | फिर एक ही पिता की संतान होने के कारण हम सब सामान हैं-
49.
यदि बीज की ओर दृष्टि ले जाई जाए तो प्रायः इस का आकार लंबोतरा या गोलाकार-सा होता है, जिसकी ऊपरी सतह पर झुर्रीदार सी धारियां या रेखाएं पाई जाती हैं, जिसके दोनों किनारे थोड़े उभरे हुए से होते हैं, बीच का भाग किंचित नाली के समान गहराई लिए हुए तथा इन धारियों की स्पष्ट चोटियां विविध रूपों में अलंकृत होती-सी प्रतीत होती हैं, जिसे रुद्राक्ष के मुख की संज्ञा दी जाती है और इन्हीं रूप-रेखाओं के आधार पर रुद्राक्ष को कई प्रकारों में वर्गीकृत किया जाता है।