उसके परम मित्र थान सिंह ने मृत्यु शैया पर उस से कहा था कि बदरी काका की टक्कर कोई नहीं ले सकता और गोपाल ने अपनी आत्मा में छिपी इस इच्छा को सदा के लिए गाड़ देना चाहिऐ कि वह कभी काका को नीचा दिखा सकेगा।
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उसके परम मित्र थान सिंह ने मृत्यु शैया पर उस से कहा था कि बदरी काका की टक्कर कोई नहीं ले सकता और गोपाल ने अपनी आत्मा में छिपी इस इच्छा को सदा के लिए गाड़ देना चाहिऐ कि वह कभी काका को नीचा दिखा सकेगा।
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प्रेमी डिरचुमाइ ने जाकर उससे मानव रूप में आने के लिए अनुरोध किया, लेकिन वह लौटकर नहीं आयी, उसने प्रेमी डिरचुमाइ से कहा कि पूजा की वेदी में इस ‘ देङराली ' पेड़ के पूर्व दिशा की डाली काटकर गाड़ देना, वहीं मुझे पाओगे।
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देखना, तुम्हारे शब्द हिलें नहीं गाड़ देना जमीन में उन्हें गहरा-और रख देना उनके ऊपर पत्थर ताकि हिला न पाएं अपनी पलकें और निकल न पाएं कोंपल बनकर-इस तरह रखना उन्हें कि कोमलता छू भी न सके, और वे उगें तो सीधा ठूंठ की तरह कठोर, नमीरहित हो कर ताकि बन
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देखना, तुम्हारे शब्द हिलें नहीं गाड़ देना जमीन में उन्हें गहरा-और रख देना उनके ऊपर पत्थर ताकि हिला न पाएं अपनी पलकें और निकल न पाएं कोंपल बनकर-इस तरह रखना उन्हें कि कोमलता छू भी न सके, और वे उगें तो सीधा ठूंठ की तरह कठोर, नमीरहित हो कर ताकि बन...
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यह अधिनियम सतीप्रथा को इस रूप में परिभाषित करता है-किसी विधवा को उसके मृत पति या अन्य संबंधी या पति से संबंधित वस्तुओं आदि के साथ ज़िंदा जलाना या जिंदा गाड़ देना-फिर चाहे इस तरह से विधवा का जलाया जाना या दफन किया जाना स्वैच्छिक हो या न हो इससे कोई अंतर नहीं पड़ता।
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अपने कदम (पावं) ज़मीन (धरती) में गाड़ देना, (दु्ष्टि) रखना और दुशमन की कसरत व ताकत (बहुसंख्या व शक्ति से) आँखों को बन्द कर (मूंद) लेना और यकीन (विश्वास) रखना कि मदद (सहायता) अल्लाह ही की तरफ़ (ओर) से होती है ।
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देखो हमें हम मांस के थरथराते झंडे हैं देखो बीच चौराहे पर बरहना हैं हमारी वही छातियाँ जिनके बीच तिरंगा गाड़ देना चाहते थे तुम देखो सरेराह उघडी हुई ये वही जांघे हैं जिन पर संगीनों से अपनी मर्दानगी का राष्ट्रगीत लिखते आए हो तुम हम निकल आयें हैं यूं ही सड़क पर जैसे बूटों से कुचली हुई मणिपुर की क्षुब्ध लरजती धरती
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पुलिस सूत्रों के मुताबिक हिरासत में लिया गया व्यक्ति यह नहीं उगल रहा है कि उसने भंवरी को मारा है या नहीं पर एक पुलिस अफसर के मुताबिक, '' सोहनलाल और इस शख्स ने कुछ निर्णायक सुराग दिए हैं, जो किसी वीसीडी से मामले के तार जोड़ते हैं. '' एक बार अपहर्ताओं ने लाश को झंसी के पास गाड़ देना कबूला पर वहां तालाब निकला.
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हमारे देश के जवानो को चाहिए की वो एस देश के बूड़े नेताओ को मार मार के जेल मैं बंद कर दे क्योकि एनके जिस्म मैं तो ख़ून हैं ही नही और जिनके जिस्म मैं है तो वो हिजड़े हैं जो करना हैं एस देश के जवानो को ही करना हैं हमे पाकिस्तान की छाती मैं पैर रखकर उनको वही गाड़ देना चाहिए और वहा पर क़ब्ज़ा कर लेना चाहिए तभी एस देश से आतंकवाद ख़त्म होगा जै हिंद जै भारत