युग की गंगा, फूल नहीं, रंग बोलते हैं, गुलमेंहदी, हे मेरी तुम!, बोलेबोल अबोल, जमुन जल तुम, कहें केदार खरी खरी, मार प्यार की थापें आदि।
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हर एक रविशों और क्यारियों के किनारे गुलमेंहदी के पेड़ ठीक पल्टनों की कतार की तरह खड़े दिखाई देते हैं, क्योंकि छुटपने ही से उनकी फैली हुई डालियां काटकर मालियों ने मनमानी सूरतें बना डाली हैं।
43.
युग की गंगा, नींद के बादल, गुलमेंहदी, आग का आइना, हे मेरी तुम, कहे किदार खरी-खरी, जमुन जल, जो शिलाएं तोड़े हैं, अनहारी हरियाली, कूकी कोयल खड़ी पेड़ की देह, बसन्त में प्रसन्न हुयी धरती,-काव्य संग्रह-प्रकाशित हैं।
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रेगिस्तान में रहने वाले भारतीय कहते हैं कि धूम्रपान करने से जुकाम ठीक हो जाता है, खासकर यदि तम्बाकू में तेजपात के छोटे पत्ते तेजपात की डोरी या भारतीय गुलमेंहदी या खांसी मूल Leptotaenia multifida मिला दिये जायें, जो इसके अतिरिक्त अस्थमा और तपेदिक के लिए विशेष रूप से अच्छा माना गया.
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रेगिस्तान में रहने वाले भारतीय कहते हैं कि धूम्रपान करने से जुकाम ठीक हो जाता है, खासकर यदि तम्बाकू में तेजपात के छोटे पत्ते तेजपात की डोरी या भारतीय गुलमेंहदी या खांसी मूल Leptotaenia multifida मिला दिये जायें, जो इसके अतिरिक्त अस्थमा और तपेदिक के लिए विशेष रूप से अच्छा माना गया.
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हमें चुम्बक की तरह खींचते थे घने वन-लेट कर घुसते हम अपनी फूलों की क्यारी में, और तलाशते वहाँ वन की सघनता का जादू, गेंदा गुलमेंहदी और मोरपंखी के दरख्तों की छाँव में अक्सर हम सूँघते थे गेंदे की पत्तियों का रस जिससे स्फूर्ति मिलती और बुळि का होता था संचार
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तरुण भटनागर के पहले कहानी-संग्रह ‘ गुलमेंहदी की झाड़ियां ' में संकलित कहानी ‘ बीते शहर से फिर गुजरना ', जो उत्तर प्रदेश (जुलाई २ ०० ३) में प्रकाशित उनकी ‘ छायाएं ' कहानी का संशोधित-परिमार्जित रूप है, एक शहर की स्मृतियों के बहाने ऐसे प्रेम की अन्तर्यात्रा है जो बीत कर भी नहीं बीतता.