केवल एक ही अच्छा काम है जो परमेश्वर को ग्रहण योग्य है और जिसके आधार पर हम परमेश्वर के पास आ सकते हैं, वह अच्छा काम प्रभु यीशु ने कलवरी के क्रूस पर अपनी जान देकर किया और उसके द्वारा समस्त मानव जाति के लिए उद्धार का मार्ग खोल दिया।
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@मीरा जैसा प्यार लुटाती, घर बाहर की लाज छोड़करमधुर गीत आँचल में भरकर किस मोहन,को ढूंढ रही हो पूजन लगन देखि मनमोहनि, मैं भी हूँ नतमस्तक तेरा तेरी पूजा ग्रहण योग्य मंदिर तो है! आराध्य नहीं है!-सक्सेना जी, पता नहीं क्यों मैं ये महसूस कर रहा हूँ कि आपने आलौकिक प्यार की गहराई महसूस की है जो इस कविता में झलक रही है.....
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@मीरा जैसा प्यार लुटाती, घर बाहर की लाज छोड़कर मधुर गीत आँचल में भरकर किस मोहन,को ढूंढ रही हो पूजन लगन देखि मनमोहनि, मैं भी हूँ नतमस्तक तेरा तेरी पूजा ग्रहण योग्य मंदिर तो है! आराध्य नहीं है!-सक्सेना जी, पता नहीं क्यों मैं ये महसूस कर रहा हूँ कि आपने आलौकिक प्यार की गहराई महसूस की है जो इस कविता में झलक रही है.....
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क्योंकि यद्यपि केतकी या गुलाब के पुष्प बहुत सुंदर, उपयोगी, मनोरंजक और सभी के ग्रहण योग्य होते हैं, तथापि सघन कंटकों में पड़ जाने के कारण सभी लोग उनका ग्रहण या आदर नहीं कर सकते, अथवा उनसे लाभ नहीं उठा सकते, किंतु जो उन पुष्पों के अत्यन्त प्रेमी और काँटों को कुछ भी नहीं समझनेवाले होते हैं, वे लोग ही उससे यथावत लाभ उठा सकते हैं।