पिछले नैदानिक अध्ययन से पता चला है कि वृद्धि की गामा ग्लोबिन जीन अभिव्यक्ति सिकल सेल एनीमिया या बीटा थैलेसीमिया के साथ उन लोगों में एक सकारात्मक प्रभाव पड़ता है.
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हीमोग्लोबिन नाम हीम और ग्लोबिन शब्दों की संधि से प्राप्त किया गया है, जो यह बताता है कि हीमोग्लोबिन की प्रत्येक उपइकाई हीम (हेम) समूह से जड़ा एक ग्लोबुलार प्रोटीन है.
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सी. शिरा द्वारा देने से उत्पन्न किया जा सकता है. रक्त मेंसल्फाहिमो-~ ग्लोबिन की उपस्थिति हो और यदि इसके साथ रक्ताल्पता श्वास कष्ट आदिलक्षण नहीं हों तो यह उतना भयावह नहीं है.
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“गामा ग्लोबिन जीन सामान्य रूप से वयस्क हीमोग्लोबिन लाल रक्त कोशिकाओं को व्यक्त करने में चुप हो जाते है अगर हम एक विशिष्ट और सुरक्षित करने के लिए गामा ग्लोबिन जीन को पुन:
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“गामा ग्लोबिन जीन सामान्य रूप से वयस्क हीमोग्लोबिन लाल रक्त कोशिकाओं को व्यक्त करने में चुप हो जाते है अगर हम एक विशिष्ट और सुरक्षित करने के लिए गामा ग्लोबिन जीन को पुन:
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इसके अतिरिक्त माँ के दूध में अनेकों रोग प्रतिकारक (इम्यून ग्लोबिन) पाये जाते है जो शिशुओं को बचपन की आम बीमारियों से, जिनमें निमोनिया एक बीमारी है, रक्षा प्रदान करते है।
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डॉ. दास के मुताबिक एडिज, क्यूलेक्स व एनाफिलीज मच्छरों को अंडे देने के लिए मनुष्य के खून में मिलने वाले ग्लोबिन प्रोटीन की जरूरत होती है, जबकि टेक्सोरिनकाइटिस वयस्क मच्छर को कार्बोहाइड्रेट की आवश्यकता होती है।
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प्रत्येक प्रोटीन श्रृंखला एक ग्लोबिन फोल्ड व्यवस्था में आपस में जुड़े अल्फा-हेलिक्स रचनात्मक खंडों के सेट के रूप में व्यवस्थित होती है, क्यौंकि मयोग्लोबिन जैसे अन्य हीम/ग्लोबिन प्रोटीनों में इसी फोल्डिंग मोटिफ जैसी व्यवस्था होती है.
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प्रत्येक प्रोटीन श्रृंखला एक ग्लोबिन फोल्ड व्यवस्था में आपस में जुड़े अल्फा-हेलिक्स रचनात्मक खंडों के सेट के रूप में व्यवस्थित होती है, क्यौंकि मयोग्लोबिन जैसे अन्य हीम/ग्लोबिन प्रोटीनों में इसी फोल्डिंग मोटिफ जैसी व्यवस्था होती है.
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डॉ. नीलम सिंह का यह भी कहना है कि शिशु के लिये बनाया गया डिब्बें का दूध शिशु को पोषक तत्व तो दे सकता है परन्तु डिब्बे के दूध में ‘ इम्यून ग्लोबिन ' नहीं पाये जाते हैं।