जल में बक, हंस, डाहुक आदि पक्षी, तट पर पपीहा, कोयल, चक्रवाक है, कुछ दूर पर मोर पंख फैलाकर नाच रहे हैं।
42.
कमल और चक्रवाक का अरुण अनुराग, सिन्दूरी वर्ण का मंगल-कलश, मणि-कांति-सुशोभित इन्द्र की छत्री, सभी उपमान तेजसंचय करते हुए प्रातःकालीन सूर्य की अभिव्यंजना करे हैं।
43.
चक्रवाक सारे दक्षिणी पूर्वी यूरोप, मध्यएशिया और उत्तरी अफ्रीका के प्रदेशों में फैले हुए हैं, जहाँ ये झीलों, बड़ी नदियों तथा समुद्री किनारों पर अपना अधिक समय बिताते हैं।
44.
चक्रवाक सारे दक्षिणी पूर्वी यूरोप, मध्यएशिया और उत्तरी अफ्रीका के प्रदेशों में फैले हुए हैं, जहाँ ये झीलों, बड़ी नदियों तथा समुद्री किनारों पर अपना अधिक समय बिताते हैं।
45.
यहां कई कृत्रिम टीले थे, और जल से ऊपर तक भरे सरोवर और झीलें, कमल तड़ाग जिनमें हंस और बत्तखें, चक्रवाक इत्यादि किल्लोल करते रहते थे।
46.
और पक्षियों का जो भी वर्णन है वह अधिकतर बंधी-बंधाई रुढ़ि पर है चाहे वे पक्षी चातक, चकोर, पपीहा, सारस चक्रवाक आदि हों अथवा तोता, मैना, हंस, उल्लू, कौआ, गिद्ध, अबाबील, खंजन आदि हों।
47.
और पक्षियों का जो भी वर्णन है वह अधिकतर बंधी-बंधाई रुढ़ि पर है चाहे वे पक्षी चातक, चकोर, पपीहा, सारस चक्रवाक आदि हों अथवा तोता, मैना, हंस, उल्लू, कौआ, गिद्ध, अबाबील, खंजन आदि हों।
48.
चक्रवाक पक्षी का प्रिया से मिलन करानेवाली प्रभात वेला की भाँति यह सुंदर चक्राकार से मंडित हैं तथा धूम रहित अग्नि से भरी हुई यह चंद्र, उमा और अग्नि से संयुक्त की भँति सुशोभित है।
49.
जिस तरह वैदिक ‘ शुक्र ' से फ़ारसी में ‘ सुर्ख़ ' बनता है, ‘ चक्रवाक ' का ‘ सुरख़ाब ' होता है उसी तरह ‘ चक्र ' से ‘ चर्ख़ ' बनता है ।
50.
चक्रवाक पक्षी का प्रिया से मिलन करानेवाली प्रभात वेला की भाँति यह सुंदर चक्राकार से मंडित हैं तथा धूम रहित अग्नि से भरी हुई यह चंद्र, उमा और अग्नि से संयुक्त की भँति सुशोभित है।