सर्जिकल प्रक्रिया में डिस्केक्टॉमी करना (क्षतिग्रस्त चक्रिका को हटाना) और इंटरबॉडी फ्यूज़न करना (हटाई गई चक्रिका के ऊपर तथा नीचे की कशेरुकाओं का संयोजन) शामिल हो सकता है।
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हर चक्रिका में एक टायर की तरह का बाहरी चक्र (अंगूठी के आकार का फाइब्रोसस) होता है, जिसके भीतर एक जैल जैसा पदार्थ (जिसे केन्द्रक मज्जा कहते हैं)
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यह हड्डी का ग्राफ़्ट, और एक बायोमैकेनिकल स्पेसर इम्प्लांट, कशेरुकाओं के बीच की चक्रिका की जगह लेते हैं, जो इस प्रक्रिया में पूरी तरह निकाल दी जाती है।
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में हम रीढ़ की हड्डी की विभिन्न बीमारियों, जैसे कि हर्नियेटेड या बल्जिंग डिस्क्स, फ्रैक्चर, संक्रमण, ट्यूमर, तंत्रिका भेदन और चक्रिका ह्रास से संबंधित रोगों के निदान के लिए
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वाहन में नामजप की ध्वनि चक्रिका अर्थात सी. डी. लगा सकते हैं या किसी संतके गाये हुए भजन लगा सकते हैं या संस्कृत स्त्रोत्र लगा सकते हैं।
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इसके बाद सर्जन प्रभावित चक्रिका और आसपास के ऊतकों को निकाल देते हैं और उसके पास की कशेरुकाओं की हड्डी की सतह को संयोजन के लिए तैयार करते हैं।
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हो सकता है कि सर्जन को कशेरुका चक्रिका को पूरी तरह या आंशिक रूप से हटाने (डिस्केक्टॉमी) और उसके बाद कशेरुकाओं को आपस में संयोजित करने की भी ज़रूरत पड़े।
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इसका इलाज थोरैकोस्कोपिक रिलीज़ (चक्रिका को हटाकर) और औज़ारों की मदद से, पीछे से संयोजन करके किया गया जिसके फलस्वरूप इसके संतुलन में उत्तम सुधार हुआ और दर्द से राहत मिली।
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समताप हेतु मैग्नाट्रान अपनी तरंगों को एक घूर्णित धातु चक्रिका की ओर निर्देशित है, जो कि पुच्छों को आफसेट करती है तथा तरंग को अवन कोटर में प्रसारित कर देती है ।
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फ़्लैटबैक सिंड्रोम के अन्य कारणों में रीढ़ की हड्डी के अनेक स्तरों में चक्रिका ह्रास रोग, एंकिलूसिंग, स्पोंडिलाइटिस, और कशेरुका के फलक को काटकर अलग कर देने के बाद का सिंड्रोम शामिल है।