| 41. | पुरुषार्थ चतुष्टय एवं अष्टांग योग से पूरा जीवन लगा जाता है मोक्ष प्राप्त करने में.
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| 42. | सांसारिक कामोद्वेग-आकांक्षाओं और अहंता की आँधियाँ हमारे अंतःकरण चतुष्टय को निरंतर प्रभावित करती हैं ।।
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| 43. | यही संगीत पुरुषार्थ चतुष्टय (धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष) का एकमात्र साधन है।
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| 44. | इस प्रकार मानव ' ' धर्म-अर्थ-काम-मोक्ष '' रूपी पुरूषार्थ चतुष्टय के अपने लक्ष्य को प्राप्त कर लेता है।
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| 45. | मैं अहंकार, पंचप्राण या बुद्धि आदि अन्त:करण चतुष्टय भी नहीं हूं, मैं तो केवल नित्य और शिवस्वरूपआत्मा हूं।
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| 46. | मैं अहंकार, पंचप्राण या बुद्धि आदि अन्त:करण चतुष्टय भी नहीं हूं, मैं तो केवल नित्य और शिवस्वरूपआत्मा हूं।
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| 47. | इसी से भक्तों ने प्रेम को पुरुषार्थ-चतुष्टय के मोक्ष से भी उच्चतम पंचम पुरुषार्थ बताया है.
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| 48. | मन, बुद्धि, चित्त, अहंकार के चतुष्टय से युक्त चेतन को जीवन या परमात्मा कहते हैं।
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| 49. | इसे ही (धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष को) पुरुषार्थ चतुष्टय कहा गया है.
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| 50. | पुरुषार्थ चतुष्टय धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष की प्राप्ति मंे भी शनि ग्रह की ही महती भूमिका रहती है।
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