चरित्रबल ही देश की स् वाधीनता एवं देश के लोकतंत्र की रक्षा कर सकता है और शिक्षा तो बस वही शिक्षा कहलाने की हकदार है जो हमारे राष् ट्र के लोगों का चरित्र बल बढ़ावे।
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‘‘ जो शिक्षा साधारण व्यक्ति को जीवन संग्राम में समर्थ नहीं बना सकती जो मनुष्य में चरित्र बल, परहित भावना तथा सिंह के समान साहस नहीं ला सकती, वह भी कोई शिक्षा है?
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यह अध्ययन आज बताता हो यह बात, पर रामधारी सिंह ‘दिनकर' ने तो वर्षों पहले ‘परशुराम की प्रतीक्षा' में कह दिया था कह दिया था,-“खोजता पुरुष सौंदर्य, स्त्रियां प्रतिभा को, नारी चरित्र बल को, नर मात्र त्वचा को।”
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इसे रोकने के लिए मनुष्य के चरित्र बल को मजबूत करना होगा | फैशन शो, गलत धारावाहिक, रियलिटी शो जैसे दकियानुसी व्यवस्था को कानूनी तरीके से रोकना होगा | तब सोचा जा सकता है कि बलात्कार को रोकें |
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यह समाज कैसे मनुष्य पैदा करता था यह इस से पता लगता है कि जो गोरे लोग इंडियनों के सम्पर्क में आए और जो भ्रष्ट नहीं हुए थे उन्हों ने इन बर्बर लोगों की आत्मगरिमा, सीधे-सरल स्वभाव, चरित्र बल और वीरता की भूरि-भूरि प्रशंसा की।
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यह व् यवस् था चरित्र बल को ऊंचा उठाने और सत् य धर्म का पालन कराने की भावना से प्ररित थी, अत: इससे किसी में ऊंच नीच की भावना नहीं व् यापती थी, बल्कि अधिक सम् मान पाने का अवसर सुद्ढ होता था।
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यह समाज कैसे मनुष्य पैदा करता था यह इस से पता लगता है कि जो गोरे लोग इंडियनों के सम्पर्क में आए और जो भ्रष्ट नहीं हुए थे उन्हों ने इन बर्बर लोगों की आत्मगरिमा, सीधे-सरल स्वभाव, चरित्र बल और वीरता की भूरि-भूरि प्रशंसा की।
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दानवों में सिर्फ़ शारीरिक बल था पर ना तो उसके पास चरित्र बल था और ना ही बुद्धि क्योंकि शारीरिक बल चरित्र और बुद्धि का दुश्मन होता है दूसरी तरफ़ मानवों में शारीरिक बल भले बहुत कम था पर इसमें चरित्र बल और बुद्धि बहुत ज्यादा थी देवताओं से भी ज्यादा...
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दानवों में सिर्फ़ शारीरिक बल था पर ना तो उसके पास चरित्र बल था और ना ही बुद्धि क्योंकि शारीरिक बल चरित्र और बुद्धि का दुश्मन होता है दूसरी तरफ़ मानवों में शारीरिक बल भले बहुत कम था पर इसमें चरित्र बल और बुद्धि बहुत ज्यादा थी देवताओं से भी ज्यादा...
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आपने शिक्षा कितनी ग्रहण की है इसके लिए तो आप प्रमाण-पत्र दे सकते हैं, दिखा सकते हैं लेकिन आपने कितना ज्ञान अर्जित किया है, इसे मापने का शायद मेरे विचार से पैमाना आपकी बुद्धि, विवेक, शालीनता और आपका चरित्र बल है जो आपके ललाट की आभा से शोभायमान होता है।