(235) अगर इस्तेकान (शीशे का छोटा सा गिलास जिसमें क़हवा पीते हैं) का होलडर सोने या चाँदी से बना हुआ हो, तो अगर उसे बर्तन कहा जाये तो वह सोने, चाँदी के बर्तन के हुक्म में है और अगर बर्तन न कहा जाये तो उसके इस्तेमाल में कोई हरज नहीं है।
42.
दिन सिरहाने पानी रख कर कीकर के पेड़ मे डाले, 43 दिन 3 केले मंदिर मे दें, चाँदी के बर्तन मे गंगा जल और चाँदी का चकोर टुकड़ा डाल कर रखे, विद्वान या माता के पावं मे हाथ लगाकर आशीर्वाद ले, घर के उत्तर पूर्व कोने से संदूक, ट्रंक या किसी भी प्रकार की गंदगी हो तो हटा दे.
43.
दिन 500 ग्राम दूध मंदिर मे दें, सूर्या अस्त के बाद दूध और चावल का इस्तेमाल ना करे, चाँदी के बर्तन मे गंगा जल रखे, हर रोज केसर का तिलक माथे ज़ुबान और नाभि मे करे, 43 दिन बड़ के पेड़ पर दूध चड़ा कर गीली मिट्टी का तिलक करे, हर गुरुवार और सोमवार को सफेद घोड़े या पीले घोड़े को चने की दाल खिलाएँ.
44.
दिन 500 ग्राम दूध मंदिर मे दें, सूर्य अस्त के बाद दूध और चावल का इस्तेमाल ना करे, चाँदी के बर्तन मे गंगा जल करें, हर रोज केसर का तिलक माथे ज़ुबान और नाभि मे करे, 43 दिन बड़ के पेड़ पर दूध चड़ा कर गीली मिट्टी का तिलक करे, हर गुरुवार और सोमवार को सफेद घोड़े या पीले घोड़े को चने की दाल खिलाए.
45.
दिन सिरहाने पानी रख कर कीकर के पेड़ मे डाले, 43 दिन 3 केले मंदिर मे दें, चाँदी के बर्तन मे गंगा जल और चाँदी का चकोर टुकड़ा डाल कर रखे, विद्वान या माता के पावं मे हाथ लगाकर आशीर्वाद ले, घर के उत्तर पूर्व कोने से संदूक, ट्रंक या किसी भी प्रकार की गंदगी हो तो हटा दे, (चंद्र केतु मध्यम मार्तंड यंत्रा गले मे धारण करे)
46.
Ans:-43 दिन सिरहाने पानी रख कर कीकर के पेड़ मे डाले, 43 दिन 3 केले मंदिर मे दें, चाँदी के बर्तन मे गंगा जल और चाँदी का चकोर टुकड़ा डाल कर रखे, विद्वान या माता के पावं मे हाथ लगाकर आशीर्वाद ले, घर के उत्तर पूर्व कोने से संदूक, ट्रंक या किसी भी प्रकार की गंदगी हो तो हटा दे.
47.
विन्नी हुई थी तो लाला जी ने सारे रिश्तेदारों को कपड़े, चाँदी के बर्तन और चाँदी के सिक्के भेंट में दिये थे | घर के नौकरों चाकरों और दूसरे कारिंदों को भी नए कपड़े बनवाए गए थे | कई दिनों तक घर में मेहमानों की भीड़ रही थी | पिताजी से पता चला थे कि ऐसे ऐसे रिश्तेदार आए थे कि नीलम को उनके रिश्ते याद कर आज भी हँसी आती है “
48.
दिन 500 ग्राम दूध मंदिर मे दें, सूर्य अस्त के बाद दूध और चावल का इस्तेमाल ना करे, चाँदी के बर्तन मे गंगा जल करें, हर रोज केसर का तिलक माथे ज़ुबान और नाभि मे करे, 43 दिन बड़ के पेड़ पर दूध चड़ा कर गीली मिट्टी का तिलक करे, हर गुरुवार और सोमवार को सफेद घोड़े या पीले घोड़े को चने की दाल खिलाएँ, चंद गुरु मध्यम मार्तंड यंत्र गले मे धारण करे
49.
दिन 500 ग्राम दूध मंदिर मे दें, सूर्या अस्त के बाद दूध और चावल का इस्तेमाल ना करे, चाँदी के बर्तन मे गंगा जल रखे, हर रोज केसर का तिलक माथे ज़ुबान और नाभि मे करे, 43 दिन बड़ के पेड़ पर दूध चड़ा कर गीली मिट्टी का तिलक करे, हर गुरुवार और सोमवार को सफेद घोड़े या पीले घोड़े को चने की दाल खिलाएँ, चंद गुरु मध्यम मार्तंड यंत्रा गले मे धारण करे
50.
Ans:-43 दिन 500 ग्राम दूध मंदिर मे दें, सूर्या अस्त के बाद दूध और चावल का इस्तेमाल ना करे, चाँदी के बर्तन मे गंगा जल रखे, हर रोज केसर का तिलक माथे ज़ुबान और नाभि मे करे, 43 दिन बड़ के पेड़ पर दूध चड़ा कर गीली मिट्टी का तिलक करे, हर गुरुवार और सोमवार को सफेद घोड़े या पीले घोड़े को चने की दाल खिलाएँ.