ऐसा करते हुए इस तथ्य को बिल्कुल ही भुला दिया गया कि शासक वर्ग के इशारे पर चलनेवाला एक पुलिस अफसर चाहे जो कुछ हो जाए, पर जनता के प्रति ईमानदार नहीं हो सकता।
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उन्होंने कहा, ” कहानी को भूमिका की अपेक्षा क्यों होनी चाहिये? कहानी अगर अपने आप को स्वयं अभिव्यक्त नहीं कर सकती, तो वह चाहे जो कुछ हो, कहानी नहीं है.
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उसने ठान लिया कि मैं अपने भ्रमर को इन विषाक्त पुष्पों से बचाऊंगी और चाहे जो कुछ हो उसे इनके ऊपर मंडराने न दूंगी, क्योंकि यहाँ केवल रूप और बास है, रस का नाम नहीं।
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उसने ठान लिया कि मैं अपने भ्रमर को इन विषाक्त पुष्पों से बचाऊंगी और चाहे जो कुछ हो उसे इनके ऊपर मंडराने न दूंगी, क्योंकि यहाँ केवल रूप और बास है, रस का नाम नहीं।
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लेकिन मेरे मित्र ने बहुत साफ कहा कि भले ही प्रभाकरन आतंकवादी हो या चाहे जो कुछ हो, लेकिन इस बात में कोई दो राय नहीं हो सकती कि वह तमिल हितों के लिए लड़ रहा है।
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लेकिन मेरे मित्र ने बहुत साफ कहा कि भले ही प्रभाकरन आतंकवादी हो या चाहे जो कुछ हो, लेकिन इस बात में कोई दो राय नहीं हो सकती कि वह तमिल हितों के लिए लड़ रहा है।
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राहुल के मन में चाहे जो कुछ हो लेकिन चुनावी जनसभा में मंच से कही गए राहुल के ये शब्द एक आम आदमी को, खासकर देश के युवा मतदाताओं को बहुत कुछ सोचने पर मजबूर जरुर करती है।
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अब 22 जुलाई को होने वाले विश्वास मत का चाहे जो कुछ हो, लेकिन मतदाता यही सोच रहा है, काश! हमने इन सांसदों को ना चुना होता…..लेकिन भारतीय राजनीति मे हमेशा यही होता आया है और यही होता रहेगा।
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नतीजा यह होता है कि तालीम एक ” थोप ” (एक इंपोजीशन) बन जाती है और जो ” थोप ” बन जाय, एक इम्पोजीशन बन जाये, वह और चाहे जो कुछ हो, पर तालीम हरगिज नहीं होती।
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१ सता लें हमको, दिलचस्पी जो है उनकी सताने में हमारा क्या वो हो जाएंगे रुस्वा ख़ुद ज़माने में लड़ाएगी मेरी तदबीर अब तक़दीर से पंजा नतीजा चाहे जो कुछ हो मुक़द्दर आज़माने में जिसे भी देखिए है गर्दिशे हालात से नाला सुकूने दिल नहीं हासिल किसी को इस ज़माने...