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चिकित्सीय साक्ष्य उदाहरण वाक्य

उदाहरण वाक्य
41.वाद विषय क्रमॉक-2 7-इसे सिद्व करने का भार आवेदक पर था कि उसको आई चोटे किस प्रकृति की थी इस बाबत न तो आवेदक स्वंत न्यायालय मे उपस्थित होकर स्थिति अस्पष्ट कर सका है न ही उसकी ओर से कोई साक्षी को उपस्थित किया गया है ओर न ही कोई चिकित्सीय साक्ष्य प्रस्तुत की गयी है।

42.कथित मामले में जिस चिकित्सा प्रमाणपत्र को दण्डादेश पारित करने का निम्न न्यायालय के द्वारा आधार बनाया गया है, वह चिकित्सा प्रमाणपत्र साक्ष्य से समर्थित नहीं है और न वह प्रमाण पत्र साक्ष्य के रूप में ग्राह्य किए जाने योग्य है, इसलिए दण्डादेश दिनांकः27-8-2009 चिकित्सीय साक्ष्य से समर्थित न होने के कारण निरस्त किए जाने योग्य है।

43.तद्नुसार चिकित्सीय साक्ष्य एवं प़त्रावली पर उपलब्ध उक्त कोटि की परिस्थितिक साक्ष्य के आधार पर यह अवधारित किया जाता है कि अभियुक्तगण सोनम एवं ज्ञानचन्द्र के विरूद्व अभियोजन धारा 302 / 34,201/34 भा0 द0 सं0 के आरोप को संदेह के परे साबित करने में सफल रहा है जबकि धारा 120बी भा0 द0 सं0 का आरोप अभियुक्तगण ज्ञानचन्द्र एवं सोनम पर नासाबित हुआ है।

44.पी0डब्ल्यू0-1 हरक सिंह के अनुसार अपीलार्थी / अभियुक्त द्वारा उसका गला पकडा गया और उसे मारदचोद बहनचोद की गाली दी गयी उसके द्वारा अपने साक्ष्य एवं प्रथम सूचना रिपोर्ट में ऐसा नहीं कहा गया कि अपीलार्थी द्वारा मारपीट करने पर उसे कोई चोट आयी हो इसलिए चुटैल द्वारा डाक्टरी परीक्षण न कराने व चिकित्सीय साक्ष्य पेश न करने से घटना संदिग्ध नहीं हो जाती है।

45.वादी द्वारा जुबानी सूचना दिनांक 26-3-02 को समय 3. 30 पी. एम. पर थाने पर दी गयी, जिस पर दिनांक 26-3-02 को समय 14.00 बजे अभियुक्तगण आबिद, गुड्डू एवं बकरीदी के विरूद्ध एन. सी. आर. सं.-13/02 अन्तर्गत धारा-323,504 भा. द. सं. पंजीकृत हुआ और दौरान विवेचना चिकित्सीय साक्ष्य के आधार पर धारा-308 भा. द. सं. की बढोत्तरी की गयी और विवेचना एस. आई. सूर्य प्रकाश सिंह द्वारा की गयी।

46.अभियुक्त जाविर उर्फ जाकिर हुसैन के विद्वान अधिवक्ता ने मेरे समक्ष एक और नजीर देवेन्द्र सिहं एवं अन्य बनाम स्टेट आफ हिमाचल प्रदेश 2004, (1) यू0सी0 249 का हवाला दिया कि इस नजीर में मान्नीय उच्च न्यायालय द्वारा यह सिद्धांत प्रतिपादित किया गया कि जहां अभियोक्त्री के शरीर पर कोई चोट न हो और चिकित्सीय साक्ष्य से बलात्कार की कहानी संपुष्ट न हो, तो अभियुक्त को दोषी नहीं ठहराया जा सकता।

47.यह कि विचारण के दौरान चिकित्सीय साक्ष्य के आधार पर इस तथ्य को साबित कराया गया है कि मृतक राजेश को दि0 22 / 5/05 को रात्रि सात साढे सात बजे के कुछ समय के अन्दर उसे चाकू एवं मूसल से चोटे कारित की गयी तथा इन्ही मृत्यु पूर्व कारित की गयी चोटों से उत्पन्न सदमे एवं बेहोशी के कारण प्रकरण के मृतक की मृत्यु हुई तद्नुसार चाकू व मूसल का हत्या में प्रयोग किया जाना अभियुक्तगण के विरूद्व साबित है।

48.यहॉ तक आवेदक को आई चोटो की प्रकृति का प्रश्न है इस बाबत आवेदक गौरीशकर के द्वारा अपने मौखिक कथनो के समर्थन मे कोई भी चिकित्सीय साक्ष्य प्रस्तुत नही की गई है स्वय प्रतिपरीक्षण मे इस साक्षी के द्वारा यह स्वीकार किया गया है वह अस्पताल मे मात्र एक दिन भर्ती था उसी दिन अस्पताल से छुटटी दे दी गई है वह आराम से चल फिर सकता है ओर बस ड्रायवरी का कार्य भी आराम से कर लेता है।

49.अब यदि घारा 120बी भा0 द0 सं0 के आरोप को विचार में लिया जाए तो पत्रावली पर उपलब्ध समस्त साक्ष्य का मूल्याकंन करने के उपरान्त यह निष्कर्ष दिया जा चुका है कि अभियुक्त सोनम व ज्ञानचन्द्र तो राजेश की हत्या में ही लिप्त पाए गए है जहॉं तक अभियुक्त कन्दर्भनाथ मिश्रा का प्रश्न है दि0 22 / 5/05 रात्रि साढे सात से साढे आठे बजे के मध्य किसी समय राजेश की हत्या किया जाना चिकित्सीय साक्ष्य एवं अन्य साक्ष्य से साबित हुआ है।

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