इनको कैसे पता चला कि, ब्लागवाणी ने रुसवाई चुन ली है? चाहें तो आप ही लपक लें, वाह क्या स्क्रिप्ट बन पड़ी है, “ ब्लाग आज कल! ” चोर बाजारी दो नैनों की, पहले थी आदत जो हट गयी, प्यार की जो तेरी मेरी, उम्र आई थी वो कट गयी, दुनिया की तो फ़िक्र कहाँ थी, तेरी भी अब चिंता मिट गयी...
42.
बेनीपुरी जी ने आगे लिखा है की सरकारी विज्ञापनों के अलावा कागज के कोटे ने भी अख़बारों की नैतिक रीढ़ तोड़ दी थी अधिक ग्राहक संख्या बताकर अख़बारों के मालिक कागज का बरा-बरा कोटा अफसरों से करा लेते और बचे हुए कागज की चोरबाजारी करते जनता चोर बाजारी से परेशान थी उसकी रक्षा कौन करे जो स्वयं अपना मुह काला कर चुका है.
43.
कितना अच्छा लगता है न संवेदनात्मक बात करना भावुकता प्रर्दशित करते हुए चार लोगों के साथ चर्चा करना वाह......... साला यह भी एक फैशन हो गया है जब तक दो-चार आदर्शवादी बातें हलक से बाहर न आयें तब तक ब्रेक फास्ट और लंच हजम ही नहीं होता सच कहू तो लगता है जैसे दिन भर चोर बाजारी करने वाला लाला सेठ शाम को मंदिर की आरती में पांच सौ एक रुपया चढा रहा हो मै, मेरी बीवी और मेरे बच्चे खुश रहें..
44.
कितना अच्छा लगता है न संवेदनात्मक बात करना भावुकता प्रर्दशित करते हुए चार लोगों के साथ चर्चा करना वाह......... साला यह भी एक फैशन हो गया है जब तक दो-चार आदर्शवादी बातें हलक से बाहर न आयें तब तक ब्रेक फास्ट और लंच हजम ही नहीं होता सच कहू तो लगता है जैसे दिन भर चोर बाजारी करने वाला लाला सेठ शाम को मंदिर की आरती में पांच सौ एक रुपया चढा रहा हो मै, मेरी बीवी और मेरे बच्चे खुश रहें..
45.
इस बढती जनसंख्या का सबसे बडा दुष्परिणाम है-गरिबी. आज देश के 40% से अधिक लोग गरिबी कि रेखा से नीचे जीवन यापान कर रहे है और येह प्रतिशत दिन-प्रतिदिन बढता हि जा राहा है.परिनाम्सुअरूप चारो और असामाजिक तत्प समाज मे अशांती फेला रहे है.चोरी,लुट-पात तथा बलात्कार आदी कि घटनाये दिन-रात चोगुनी होणे लागी है और कीमते आसमान छुने लगी है.पुरती कि कमी चोर बाजारी को भी बढावा देती है,जिसे राष्ट्र कि अर्थ वाव्साथा पर बुरा असर पडता है.