मोदी के छद्मनामी सोशल मीडिया सेवकों द्वारा अमर्त्य सेन ही नहीं उनकी अभिनेत्री बेटी की फिल्मी भूमिकाओं से चित्र निकाल कर उन पर अश्लील टिप्पणियां यह बताती हैं कि यह केवल चन्दन मित्रा तक ही सीमित भूल नहीं थी अपितु इस पूरे नये वर्ग को इसी मानसिकता के लिए तैयार कर दिया गया है।
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जाने अंजाने ब्लाग्स मे विचरते हुए उनके आलेखों और उनपर नामी / बेनामी टिप्पणियों को पढते हुए मुझे अक्सर लोक-गल्प याद आ जाते हैं, अभी पिछ्ले ही दिनो अपने मित्र के ब्लाग से गुज़र रहा था कि एक छद्मनामी टिप्पणीकार को बांचते हुए बस एक ही ख्याल आया ” उफ... ये शिष्ट बच्चा... सिर झुका कर...
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और मैने अपने केश धूप में नही सुखायें है, तो उक्त छद्मनामी को मैने कुल जमा दो ब्लाग्स मे टिप्पणी करते हुए देखा है, तीसरा कोई ब्लाग बिल्कुल भी नहीं! मजेदार ये कि बन्धुवर अपनी मूल आई डी के साथ भी इन ब्लाग्स में नमूदार होते है पर मूल आई डी के साथ कुछ ज्यादा ब्लाग्स में...
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के सामने) अभिव्यक्ति की उन्मुक्तता एवं इसमें निहित खतरे ब्लाग जगत के कुंठासुर / बेनामी या छद्मनामी टिप्पणीकार पत्रकारिता और चिट्ठाकारी अभिव्यक्ति की उन्मुक्तता एवं इसपर नियन्त्रण-कुछ सुझाव मुख्य धारा के जनसंचार माध्यम एवं ब्लॉग-संचार तृतीय सत्र: २४ अक्टूबर, ११ बजे पूर्वाह्न स्थान: क्षेत्रीय केन्द्र-महात्मा गांधी अन्तरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय, वर्धा २४ / २८ सरोजिनी नायडू मार्ग, इलाहाबाद (