बाँसुरी की मधुर धुन छेड़ने वाला कृष्ण चरित्र ही नये भारत का सच्चा आदर्श हो सकता है किंतु धर्म के नाम पर सत्ता पाकर भ्रष्टाचार की रोटियाँ सेंकने वाले कृष्ण की इसलिए उपेक्षा करते हैं क्योंकि वे नफरत की जगह प्रेम में विश्वास करते हैं।
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बाँसुरी की मधुर धुन छेड़ने वाला कृष्ण चरित्र ही नये भारत का सच्चा आदर्श हो सकता है किंतु धर्म के नाम पर सत्ता पाकर भ्रष्टाचार की रोटियाँ सेंकने वाले कृष्ण की इसलिए उपेक्षा करते हैं क्योंकि वे नफरत की जगह प्रेम में विश्वास करते हैं।
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इस तथ्य पर उनकी प्रतिक्रिया जानने के लिये जब उन्हें फोन किया तो मुझे लग रहा था कि स्मृतियों की मधुरता पर उन्हें छेड़ने वाला मैं पहला व्यक्ति हूँ, पर उनके उत्तर से पता लगा कि उनकी श्रीमतीजी इस विषय को लेकर उन पर अर्थपूर्ण कटाक्ष पहले ही कर चुकी हैं।
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इस तथ्य पर उनकी प्रतिक्रिया जानने के लिये जब उन्हें फोन किया तो मुझे लग रहा था कि स्मृतियों की मधुरता पर उन्हें छेड़ने वाला मैं पहला व्यक्ति हूँ, पर उनके उत्तर से पता लगा कि उनकी श्रीमतीजी इस विषय को लेकर उन पर अर्थपूर्ण कटाक्ष पहले ही कर चुकी हैं।
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ऐसा बताया जाता है कि छात्रा को छेड़ने वाला उक्त लड़के का नाम मनोज ट्ट है और वो एमएलबी स्कूल के पास से ही छात्रा को छेड़ता आ रहा था और छेड़ते-छेड़ते वो पावर ग्रिड के आगे तक पहुँच गया था और यहाँ पहुँचने के बाद जो घटना घटी उसके कारण छात्रा की मृत्यु हो गयी।
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मैं जब भी कभी कृष्ण का रासलीला वाला चरित्र देखता हूँ, माखन चुराने, खाने-खिलाने वाला, गोपियाँ छेड़ने वाला, ढिठाई, छिछोरापन करने वाले कृष्ण तो मन में अनायास प्रश्न उठता है-क्यों नहीं, उनका महाभारत वाला रूप, कूटनीतिज्ञ, विद्वान, राजनेता और विद्रोही योद्धा वाला रूप, दिखाया-पढ़ाया जाता? पाँचजन्य शंख फूँकते हुए, चक्र घुमाते हुए, अन्याय के ख़िलाफ रथ का टूटा पहिया उठाए हुए कृष्ण! नायक कृष्ण!! सलाहकार कृष्ण!!! योद्धा कृष् ण! यूँ देखा जाए तो कृष्ण जन्मजात विद्रोही थे या कहिए नाराज योद्धा।