बीच-बीच में कुछ वार्तालाप हो जाता था. ' कितना गहन वन. ' पांचाली बोल उठी, ' यहाँ तो वन्य-जीव रहते होंगे? ” अर्जुन आगे बढ़ आये, ' हाँ छोटे-बड़े सब. यहीं तो वन-शूकर के कारण भगवान पशुपति से झड़प हुई थी मेरी, और फिर पाशुपत अस्त्र की प्राप्ति. ' ' अच्छा! ' पार्थ के चले हुये रास्ते हैं ये, इधर ही तपस्या करने इन्द्रकील पर्वत पर आये थे.