संत्री मंत्री और जंत्री की तोड़ो लम्बी कतारों को! उद्घाटन चाटन बंद करो झूठे वादे नरो को! तुम्हे मात्रभूमि की सौगंध है और बर्बाद ना करो देश को! आश्वासन भाषण बंद करो रोजी रोटी दो मेरे देश को!!
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गाँधी जी ने कहा था कि कोई भी फैसला करने से पहले सबसे आखिरी पायदान पर खड़े आदमी की सोचो कि क्या वह उसके आंसू पोंछ पायेगा? क्या प्रणब मुखर्जी को गाँधी की यह जंत्री याद है? बजट का इंतज़ार कीजिये.
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अग्नि रूप वायु रूप जल रूप पृथ्वी रूप प्रश्न: रमल पद्धति अनुसार कुं. डली बनाने की क्या विधि है? उत्तर: रमल पद्धति के अनुसार बनने वाली कुंडली को ‘ रमल. प्रस्तार ', रमल. जंत्री भी कहा जाता है।
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साफ है कि राजनीति और राजनेता अब गाँधी जी की वह जंत्री भूल चुके हैं जिसमें उन्होंने कहा था कि ‘ कोई भी फैसला करने से पहले यह जरूर सोचो कि उससे सबसे गरीब भारतीय की आंख के आंसू पोंछने में कितनी मदद मिलेगी. '
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सार्वजनिक जीवन या राजनीतिक दायरे में पहले-पहल उतर रहे किसी भी व् यक्ति के लिए यह पुस् तक आंदोलनों के प्रति आस् था और निगरानी का एक स्रोत है, विश् व दृष्टिकोण का एक खाका निर्मित करने की जंत्री है और समाज विज्ञान में एक प्रवेशिका है।
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निष्कर्ष-अब इसका सूत्र भी जान लीजिए, चिंता हरण जंत्री, चिंता हरण पंचांग, ठाकुर प्रसाद कैलेण्डर, श्री विश्वनाथ पंचांग, या अन्य जो भी पंचांग हो उसमें सर्व साधारण की सुविधा के लिए वहाँ ' स्मार्त या वैष्णव ' शब्द से उल्लेख किया जाता है.
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जहाँ आज चारो तरफ लूट मची हुई है, कानून ब्यबस्था थप है और जंत्री से लेके मंत्री तक सब जेल की हवा खा रहे हैं वहां एक ७२ साल का बुज़ुर्ग बिना किसी स्वार्थ के देश को एक मज़बूत कानून देने के लिए १२ दिन तक अनशन पे बता और जीता भी वो वाकई हम आन इंसानों से बहत ऊपर है.
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निश्चय ही, वेतन आयोग की सिफारिशों को लागू करते हुए यूपीए सरकार को गांधी जी की उस जंत्री को याद करना चाहिए जिसमें उन्होंने कहा था कि “ कोई भी फैसला करने से पहले सबसे कमजोर और गरीब भारतीय के चेहरे को याद करें और सोचें कि इस फैसले से उसे क्या मिलने जा रहा है? ” वेतन आयोग की सिफारिशों ने देश को यह सोचने का अवसर दिया है.
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इसके अलावा कृष्ण गोपाल जायसवाल ने पेंशन, करमहां के राजन ने विकलांग पेंशन, भिखमपुर टोला की दुलारी ने विधवा पेंशन, करमहां की जंत्री ने वृद्धा पेंशन, करमहां के अभय उपाध्याय ने गांव में खेल का मैदान बनाने, खेम पिपरा के नागेंद्र गुप्ता ने पोखरी पर कब्जा करने, करमहां के शहाबुद्दीन ने आवास, अभय सिंह ने सतभरियां की सड़क पर पानी लगने, सरोज ने सड़क पर अतिक्रमण और शैलेंद्र गुप्ता ने सड़क निर्माण की समस्या रखी।
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पंडित ने कहा इधर से है मुल्ला ने कहा इधर से है हम बीच खड़े हैं दोनों के तेरे घर की राह किधर से है नफ़रत का धुँआ उठा करता अपनो का ही दम घुटता है इस बंद मकाँ के कमरे में कहो रोशनदान किधर से है सब भटके भूल-भूलैया में जंत्री में पोथी पतरा में जो प्रेम की राह निकलती है उस दिल का का राह किधर से है मथुरा से हैं? काशी से हैं?