खुद के लिए मिलने वाले चंद पलों में वह पढ़ती हैं पढ़ाती हैं, सजती हैं,सबको सवांरती हैं.कोई कविता कोई गीत,कभी लेख कभी संगीत.कभी जग भर के सारे बच्चो बूढों को अपना मान कर करती हैं उनकी सेवा.कभी किसी बड़े पद पर आसीन हो देश की दिशा और दशा उज्जवलित करती हैं.कभी आसमानों में उड़ अपने
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उधर भगवान फरमान जारी कर देता हैं, लो भाई अब इस जनम इन्हे चिडिया बनाओ, गधा बनाओ । हम चीखते हैं......... अन्याय, अन्याय, घोर अन्याय इतने पुण्य करने के बाद चिडिया या गधे का जनम? जिंदगी भर दूसरो की इतनी चिंता की, जग भर की सोची, इतना समझाया उसके प्रतिफल में गधे का जन्म । नही.........
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पंखुरी की ब्लोगर दोस्त पाखी दीदी, अनुष्का दीदी, पंखुरी की प्यारी तोषी दीदी, चीनू दीदी और वो सारी की सारी नन्ही परियाँ, जो अपनी निश्छल मुस्कान, भोली बातों और उम्मीद की किरण जैसी अपनी उपस्थिति से जग भर में उजियारा फैला रही हैं उन सबको पंखुरी टाइम्स की ओर से भी ढेर सारा प्यार और आभार, हमारी दुनिया को रोशन करने के लिये...
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लेखनी से एक नया अलख जगाना है मेरा साथ दो मेरे प्यारे दोस्तों मुझे राष्ट्र भाषा को विश्व भाषा बनाना है हिंदी कि कीर्ति पताका को जग भर में फेहराना है बाबन हर्फों को हर जुबां की जुबां बनाना है मेरा साथ दो मेरे प्यारे दोस्तों मुझे नागरी को न्याय दिलाना है अंग्रेजियत को भारत से दूर अब भगाना है हर सरकारी महकमे का काज हिंदी में करवाना है मेरा साथ दो मेरे प्यारे दोस्तों मुझे इंडिया को हिंदुस्तान बनाना है …
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छत्तीसगढ उच्च न्यायालय के निराकरण के बाद अब दोनो राज्यो के उर्जा मन्त्री, सचिव व मण्डल के अध्यक्षो की तत्परता से ही मोर छत्तीसगढ के बिजली विभाग के जबलपुरिहा अउ नइ जाने कहा कहा बसे, नौकरी म फसे, जग भर के घर ला अजोर करे बर पेरात भाइ मन के छत्तीसगढ के सुन्ना डीह मे दीया जल पाही दाइ ददा के लाठी म दम आ पाही अउ बेटी बेटा के बिहाव जात बिरादरी सन्ग हो पाही, बाकी उम्मर छत्तीसगढ महतारी के कोरा म बीत पाही ।
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अमलतास के फूल भी यदि प्रेम तंत्र में आ जाते, तो गुलाब की भाँति सारे जनमानस पर छा जाते, सूरज को ठेंगा दिखलाते हुए झूम कर खिलते हैं, नगर नगर की सड़कों पर ये बहुतायत में मिलते हैं, मई जून के महिनों को थोड़ा शीतल कर देते हैं, महा ढीठ होते हैं पीले रंग से जग भर देते हैं, हो न हो इनको सरकारी संरक्षण ले डूबा है, गाँव गली में होते तो नोबेल रंग का पा जाते-अमलतास के फूल भी यदि प्रेम तंत्र में आ जाते।