वैसे लेख का उपयुक्त शीर्षक होना चाहिये था-चौपट राजा के चौपट देश के महा चौपट नागरिक. बोलो चौपट भगवान की जय!
42.
वन्दे मातरम्! भारत माता की जय! ह/-अंजनी कुमार श्रीवास्तव, सचिव, अभाविप जे.एन.यू. ह/-विवेक विशाल, संयुक्त सचिव अभाविप जे.एन.यू.
43.
सुख जीवन में बहुत कम आता है...आज के दिन मन शांत होने और इस सुख की अवस्था के लिए सभी देवी देवताओं की जय!
44.
जब तक लोग अपनी सही ग़लत बात मनवाने में बड़प्पन ढूंढते रहेंगे तब तक सत्यमेव जयते कैसे हो सकेगा? कन्हैया लाल की जय! जन्माष्टमी की बधाई!
45.
मुझे तो ऐसा लगता है की अर्जुन के प्रति इन्द्र के मोह ने पांडवों का नुक्सान ही कराया! आपका क्या ख्याल है? मग्गा बाबा की जय!
46.
और वाहन में सदैव हमें उत्साह न हो! बोल रेलगाड़ी की जय! बोल मेलगाड़ी की जय! बोल इंद्रविमान की जय! जय!! जय!!!
47.
...न्याय प्रणाली की ऐसी की तैसी और गुंडों की जय! इस आशय के उद्गार किसी और के नहीं, भारत के सर्वोच्च न्यायालय के एक माननीय न्यायधीश ने प्रकट किए हैं।
48.
तो सब का सुरुआत कैसे हुआ-ट्रेन से ही तो हुआ ना-तो रूट काज़ या मूल कारण का हुआ-‘रेलवेज़ '!प्रेस: ज्ञानी चौपट राजा की जय! ‘लाइसेंस टु किक' की जय!!श्री चौपट राजा: सांती बनाये रखिये।
49.
तभी किशन वहां आता है] किशन-अरे जय! ऐसे क्यों बैठे हो? क्लास खत्म होते ही बड़ी जल्दी यहां भाग आये.... क्या बात है?जय-वात-वात कुछ नहीं........ आज पहली क्लास थी और पहले दिन ही गणित पढ़नी पड़ गयी।
50.
मन एकदम सहज है...जैसे शिवलिंग को छू लिया हो! सुख जीवन में बहुत कम आता है...आज के दिन मन शांत होने और इस सुख की अवस्था के लिए सभी देवी देवताओं की जय! पागल लड़के, तुझे मालूम भी है...मुझे तुमसे प्यार हो गया है!