खारे पानी की जल कृषि का विकास-यह योजना देश के खारे पानी के विशाल क्षेत्र का उपयोग श्रिम् प के पालन के लिए करने के उद्देश् य से शुरू की गई थी।
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सर्वोच्च न्यायालय ने पहले आदेश दिया था कि प्रदूषण फैलाने वाले जल कृषि (एक्वाकल्चर) फार्म्स को तटीय राज्यों में बंद कर देना चाहिये, क्योंकि ये पर्यावरण संदूषण के साथ भूमि क्षरण भी करते हैं।
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किसान खाद्दान् न फसल की खेती करने के लिए तथा बागवानी, जल कृषि पशु पालन पुष् प कृषि, रेशम पालन व् यावसाय में निवेश खरीदने के लिए ऋण हेतु आवेदन कर सकते हैं।
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इसमें देश में विभिन्न रूपों में उपलब्ध मत्स्यन के सभी अंतर्देशीय संसाधन शामिल हैं यथा स्वच्छ जल, खारा जल, शीतल जल, जलाक्रांत क्षेत्र, जल कृषि के लिए नमकीन/क्षारीय मृदाएं, और प्रग्रहण मत्स्यन संसाधन (जलाशय/नदियां आदि)।
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सर्वोच्च् न्यायालय ने पहले आदेश दिया था कि प्रदूषण फैलाने वाले जल कृषि (एक्वाकल्चर) फार्म्स को तटीय राज्यों में बंद कर देना चाहिए, क्योंकि ये पर्यावरण संदूषण के साथ भूमि क्षरण भी करते हैं ।
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यह जल कृषि में विभिन्न प्रजातियों में से एक संक्षिप्त तस्वीर और वातावरण जिसमें वे farmed रहे हैं भीतर व्यवहार्यता, उदाहरण के लिए दे देंगे तापमान अशांति, और मौसम की स्थिति के प्रभा व.
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स्वच्छ जल कृषि का विकास-यह अंतर्देशीय क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण योजना है, जिसे एक ही एजेंसी, अर्थात् फिश फार्मर्ज डेवलपमेंट एजेंसीज (एफएफडीए) द्वारा अपने-अपने राज्यों तथा संघ राज्य क्षेत्रों में क्रियान्वित किया जा रहा है।
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मत् स् यन, जल कृषि और संबंधित गतिविधियों ने, विदेशी मुद्रा का एक प्रमुख अर्जक होने के अलावा, 2005-0 6 में 14 मिलियन से अधिक व् यक्तियों को आजीविका उपलब् ध कराई है।
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वर्षा जल कृषि की अन् य तकनीक सूक्ष् म सिंचाई प्रणालियों का इस् तेमाल करना है जिसके द्वारा फार्म के निचले क्षेत्र में वर्षा जल को एकत्र किया जाता है तथा बाद में फसलों के लिए रिसाइकिल किया जाता है।
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उन् हें नई कृषि संबंधी उद्योगों के विषय सूचना दी जाती है जैसे रेशम संवर्धन, जल कृषि और पुष् प कृषि यह नई सूचना उनके ज्ञानाधार को बढाती है और इनके परिणामस् वरूप फसलों की गुणवत्ता एवं उत् पादकता बढती है।