यही कारण है कि नक्सलियों को बर्मा के रास्ते हथियारों का जो ज़ख़ीरा मुहैया कराया जा रहा है, उसकी खेप कलाईकुंडा एयरबेस के पास बंगाल की खाड़ी पर उतरती है और भारतीय वायुसेना को इस बात की भनक भी नहीं लग पाती.
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उर्दू शायरी के शौक़ीन साहिबान के लिए एक साइटउर्दू शायरी के शौक़ीन साहिबान के लिए आज हम एक ऐसी साइट का पता दे रहे हैं, जहां ग़ज़लों का एक बड़ा ज़ख़ीरा मौजूद है और साइट का नाम भी ज़ख़ीरा ही मौजूद है।
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उर्दू शायरी के शौक़ीन साहिबान के लिए एक साइटउर्दू शायरी के शौक़ीन साहिबान के लिए आज हम एक ऐसी साइट का पता दे रहे हैं, जहां ग़ज़लों का एक बड़ा ज़ख़ीरा मौजूद है और साइट का नाम भी ज़ख़ीरा ही मौजूद है।
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उसका निर्माण इस तरह किया गया था कि बारिश के पानी की तेज़ धारा पुश्तों से टकराकर जब अपना रास्ता बदलती, तो नालियों से गुज़रती हुई ढलान के उस तरफ़ बहकर जाती, जहाँ ज़मीन खोदकर पानी का ज़ख़ीरा करने का निहायत मुनासिब इन्तज़ाम था।
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इसपर यह आयत उतरी और फ़रमाया गया कि बहुत से जानवर ऐसे हैं जो अपनी रोज़ी साथ नहीं रखते, इसकी उन्हें क़ुव्वत नहीं और न वो अगले दिन के लिये कोई ज़ख़ीरा जमा रखते हैं जैसे कि पशु हैं, पक्षी हैं.
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और एकाधिकार (इजारादारी), सूदख़ोरी, अप्राप्त आमदनियों व लाभों को पहले ही निश्चित कर लेने, मंडियों पर क़ब्ज़ा कर लेने, ज़ख़ीरा अन्दोज़ी ;भ्वंतकपदहद्ध बाज़ार का सारा सामान ख़रीदकर कीमतें बढ़ाने के लिए कृत्रिम अभाव पैदा करना, इन सब कामों को इस्लाम ने अवैध घोशित किया है।
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और एकाधिकार (इजारादारी), सूदख़ोरी, अप्राप्त आमदनियों व लाभों को पहले ही निश्चित कर लेने, मंडियों पर क़ब्ज़ा कर लेने, ज़ख़ीरा अन्दोज़ी ;भ्वंतकपदहद्ध बाज़ार का सारा सामान ख़रीदकर कीमतें बढ़ाने के लिए कृत्रिम अभाव पैदा करना, इन सब कामों को इस्लाम ने अवैध घोशित किया है।
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1-“ क़द्दमा ख़ैरन ” जो ख़ैर को आगे भेजता है यानी वह इस उम्मीद में नहीं रहता कि दूसरे उसके लिए कोई नेकी भेजें, बल्कि वह पहले ही अपने आप नेकियों को ज़ख़ीरा करता है और आख़ेरत का घर आबाद करता है।
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उसका निर्माण इस तरह किया गया था कि बारिश के पानी की तेज़ धारा पुश्तों से टकराकर जब अपना रास्ता बदलती, तो नालियों से गुज़रती हुई ढलान के उस तरफ़ बहकर जाती, जहाँ ज़मीन खोदकर पानी का ज़ख़ीरा करने का निहायत मुनासिब इन्तज़ाम था।
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अल्लाह के बन्दों! अल्लाह से डरो, और मौत से पहले अपने आमाल (कर्मों) का ज़ख़ीरा (भंडार) फ़राहम (संचित) कर लो और दुनिया की फ़ानी (नाशवान) चीज़ें देकर बाक़ी (शेष) रहने वाली चीज़ें ख़रीद लो।