| 41. | ऑपरेशन ब्लूस्टार के ज़ख़्म अब भी क्यों हरे?
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| 42. | ख़ंज़र की क्या मजाल जो इक ज़ख़्म कर सके।
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| 43. | उसी ने ज़ख़्म दिये जो भी मेरा ख़ास हुआ।
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| 44. | दे गये ना जाने कितने और ज़ख़्म
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| 45. | हुआ और मेरे हर ज़ख़्म से मेरा खालिस ख़ून
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| 46. | चूँकि हैं ज़ख़्म हरे टीस सी इक उठती है
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| 47. | ज़ख़्म गर दब गया लहू न थमा
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| 48. | हर एक ज़ख़्म से उसका ही नाम टपकता है,
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| 49. | यूँ तो ज़ख़्म भर गये, टीस है अभी मग़र
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| 50. | हर ज़ख़्म पे लगे चाहत का मरहम
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