|  | 41. | उडाये होश कभी ज़ुल्फ़ की हवान ने 
 
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|  | 42. | ज़ुल्फ़ ने खुलके उसका चेहरा छुपा लिया 
 
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|  | 43. | ज़ुल्फ़ के दुपट्टे में फँसती हुई हवा हूँ. 
 
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|  | 44. | कितनी दराज़ ज़ुल्फ़ है, कितनी तवील रात है || 
 
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|  | 45. | कौन जीता है तेरी ज़ुल्फ़ के सर होने तक 
 
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|  | 46. | आपकी निगाह कहे, ज़ुल्फ़ को संवार दूँ 
 
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|  | 47. | लग पड़ी गाल पर ज़ुल्फ़ को छेड़ने 
 
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|  | 48. | ज़ुल्फ़ जब खुल के बिखरती है मेरे शाने पर 
 
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|  | 49. | कबाड़खाना: जब उस ज़ुल्फ़ की बात चली 
 
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|  | 50. | ये ज़ुल्फ़ अगर खुल के बिखर जाए तो अच्छा 
 
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